स्पेस में भी चीन का ‘डर्टी गेम’( चीन)
नई दिल्ली. चांद के रहस्यों का जानने के लिए भारत समेत तमाम बड़े देश अपने स्तर पर कोशिश कर रहे हैं. इस साल इसरो का मून मिशन चांद के दक्षिण ध्रुव के करीब सफलतापूर्वक लैंड हुआ. भारत चांद के इस क्षेत्र में उतरने वाला पहला देश बन गया है. भारत के मून मिशन को अभी कुछ महीने ही बीते हैं कि अब यह खबर आ रही है कि पड़ोसी देश चीन ( चीन) चांद पर अपनी खोज के दौरान पृथ्वी की इस प्राकृतिक सेटेलाइट को नुकसान पहुंचाने से भी नहीं चूक रहा है. एरिजोना विश्वविद्यालय की एक टीम ने खुलासा किया है कि चांद की सतह पर दो क्रेटर यानी गड्ढे देखे गए हैं. वैज्ञानिकों का दावा है कि चीन का रॉकेट चांद पर बने इस अतिरिक्त गड्ढे के लिए जिम्मेदार हो सकता है.
वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि चीन नेशनल स्पेस एजेंसी ने साल 2022 में अपना मून मिशन लॉन्च किया था. इस दौरान एक रॉकेट मार्च 2022 में चांद की सतह से जा टकराया था. बताया जा रहा है कि चांद की सतह से टकराव के कारण ही ये दो ताजा क्रेटर बने हैं. एरिजोना विश्वविद्यालय के एयरोस्पेस इंजीनियर टान्नर कैंपबेल ने कहा कि डबल क्रेटर के लिए चीन के अघोषित रॉकेट पर एक अतिरिक्त पेलोड जिम्मेदार है.
ताकि कोई पकड़ न पाए चीन की चाल!
वैज्ञानिकों ने दावा किया कि चांद पर बने दो नए क्रेटर उस हिस्से पर हैं जो पृथ्वी से कभी भी सीधे दिखाई नहीं देते. चंद्रमा की सतह पर लगभग एक ही आकार के दो गड्ढे नजर आ रहे हैं. दोनों गड्ढों का आकार लगभग एक जैसा है. कैटालिना स्काई सर्वे मार्च 2015 में हुआ था. पिछले साल चांद की सतह पर उन्होंने अंतिम बार रिसर्च की थी. अब ताजा जांच के दौरान चांद पर दो नए गड्ढे मिले हैं, वैज्ञानिकों ने इन्हें WE0913A नाम दिया है.
चीनी स्पेस एजेंसी का आरोपों से इनकार
शोधकर्ताओं का कहना है कि चीन की स्पेस एजेंसी यह नहीं बता रही है कि मून मिशन के साथ अतिरिक्त पेलोड क्या था. वो इस बात से भी इनकार कर रही है कि यह उनका रॉकेट था. यूनिवर्सिटी के एयरोस्पेस इंजीनियर ने कहा कि हमें नहीं पता कि यह क्या हो सकता है. हम शायद यह राज कभी नहीं जान पाएंगे. अंतरिक्ष यान द्वारा अपने रॉकेटों को अंतरिक्ष में छोड़ने या इन रॉकेटों को चंद्रमा की सतह पर दुर्घटनाग्रस्त कराने में कुछ भी असामान्य नहीं है. यह घटना हमें आगाह कर रही है कि स्पेस में कबाड़ एक बड़ी समस्या बनती जा रही है.