‘मुझसे संपर्क करना चाहता है चीन(China )
धर्मशाला. तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा ने दिल्ली और लद्दाख दौरे से पहले धर्मशाला में मीडियाकर्मियों से बातचीत में कहा कि, वह तिब्बतियों की समस्या को लेकर चीन से बातचीत करने को तैयार है. चीन (China ) उनसे आधिकारिक और अनाधिकारिक तौर पर संपर्क करना चाहता था.
दलाई लामा ने कहा कि बातचीत के लिए मैं हमेशा राजी रहा हूं. अब चीन को भी यह अहसास हो चुका है कि तिब्बतियों का जोश और भावनाएं अंदर से बेहद मजबूत है. इसलिए तिब्बतियों की दिक्कतों से निपटने के लिए वह मुझसे संपर्क करना चाहते हैं, मुझे भी कोई एतराज नहीं है.
क्या चीन से फिर से बातचीत शुरू करना चाहते हैं, इस सवाल का जवाब देते हुए दलाई लामा ने कहा कि, ‘हम आज़ादी की मांग नहीं कर रहे हैं, हमने कई सालों पहले ही यह फैसला ले लिया था कि हम पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना का हिस्से बने रहेंगे.. अब चीन भी बदल रहा है. चीनी मुझसे आधिकारिक और अनाधिकारिक तौर पर संपर्क करना चाहते हैं. ’
तिब्बती आध्यात्मिक नेता ने कहा कि, ‘मैं तिब्बत में जन्मा और दलाई लामा नाम के साथ रहा हूं, लेकिन तिब्बत के हित में काम करने के अलावा मैं सभी संवदेनशील जीवों की भलाई के लिए काम कर रहा हूं. मैने बगैर उम्मीद खोए, जो मेरे से बन पड़ा वो किया, और अपने झंडे के प्रति अपने समर्पण को बनाए रखा. मुझे किसी से कोई नाराज़गी नहीं है, उन चीनी नेताओं से भी नहीं जिन्होंनें तिब्बत के खिलाफ कठोर रवैया रखा. दरअसल चीन भी एक बौद्ध देश रहा है, जब मैं वहां गया था तो मैने वहां पर कई मंदिर और मठ देखे थे.’
100 साल से ज्यादा जीवित रह कर सेवा करूंगा – दलाई लामा
तिब्बती संस्कृति और धर्म के बारे में दलाई लामा कहते हैं कि इससे दुनिया को काफी फायदा हो सकता है, मुझे ऐसा विश्वास है कि तिब्बती संस्कृति और धर्म में जो ज्ञान का भंडार है वो दुनिया को बड़ा फायदा पहुंचा सकता है. हालांकि मैं सभी धर्मों और संस्कृतियों का सम्मान करता हूं.
उन्होंनें आगे कहा कि, मेरे अपने सपनों और भविष्यवाणियों के मुताबिक जो मुझे संकेत मिले हैं, मैं 100 साल से ज्यादा जीने की उम्मीद रखता हूं. मैने हमेशा दूसरो की सेवा की है और मैं यह जीवनभर जारी रखूंगा.आपको बता दें कि 6 जुलाई को दलाइ लामा ने अपना 88 वां जन्मदिन मनाया और धर्मशाला के मुख्य तिब्बती मंदिर का दौरा किया.