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नकारात्मक छवि को बदलने के लिए सभी पैंतरे आजमा रहा चीन

बर्लिन/नई दिल्ली । चीन (negative image) के राष्ट्रपति के रूप में शी जिनपिंग की तीसरी बार ताजपोशी के लिए अक्टूबर में कम्युनिस्ट पार्टी की बैठक बुलाई गई है। कोरोना काल, मानवाधिकारों के मामलों और विस्तारवादी के रूप में चीन अपनी नकारात्मक छवि को बदलने के लिए सभी पैंतरे आजमा (negative image) रहा है।

पाकिस्तान में भी जिनपिंग के पक्ष में मीडिया में रिपोर्ट छापने को कहा जाता है। पाक और श्रीलंका की सरकारों पर चीन पर अपने राजनयिकों से दबाव डालता है।अमेरिकी फ्री स्पीच थिंक टैंक ‘फ्रीडम हाउस’ की रिपोर्ट के मुताबिक 30 लोकतांत्रिक देशों में 18 देश ऐसे हैं, जिनके मीडिया पर जिनपिंग की इमेज सुधारने के लिए चीन ने दबाव बनाया।

इनमें ज्यादातर अफ्रीकी देश हैं। अमेरिकी फ्री स्पीच थिंक टैंक ‘फ्रीडम हाउस’ की रिपोर्ट के मुताबिक 30 लोकतांत्रिक देशों में 18 देश ऐसे हैं, जिनके मीडिया पर जिनपिंग की इमेज सुधारने के लिए चीन ने दबाव बनाया। श्रीलंका में चीन समर्थक सोशल मीडिया इन्फ्लुएंजर्स की संख्या 2019 के बाद तेजी से बढ़ी है।

राजपक्षे सरकार भी चीन समर्थक थी। श्रीलंका के आर्थिक हित चीन से जुड़े हैं। जिनपिंग की इमेज और नीतियों को मीडिया के जरिए प्रमोट किया जाता है। इन 18 देशों में सोशल मीडिया, पत्रकार और मीडिया संस्थानों को चीन के पक्ष में लिखने और माहौल बनाने के लिए कहा गया।

राष्ट्रपति जिनपिंग के इस मीडिया मैनेजमेंट के लिए चीन सरकार की ओर से 75 लाख करोड़ रुपए का स्पेशल फंड भी जारी किया गया है। इस स्पेशल फंड से कुछ देशों में निवेश की घोषणा भी की जाती है। विशेषज्ञों की राय में चीन की इस रणनीति से निपटने के लिए मीडिया हाउस और राजनेताओं को भी आगे आना होगा। इसमें पारदर्शिता और पत्रकारों की सुरक्षा सबसे अहम होगी। चीन के हथकंडों के खिलाफ एकजुट होना होगा।

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