कृषि विधेयकों को लेकर मुख्यमंत्री योगी की विपक्ष को खरी-खरी, बताया भ्रमित करने का कुत्सित प्रयास
-कहा-कृषि क्षेत्र में व्यापक बदलाव लाने वाले साबित होंगे दोनों विधेयक
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कृषि सुधार के दो विधेयकों-‘कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक, 2020’ तथा ‘कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक, 2020’ के संसद में पारित होने का स्वागत किया है। इसके साथ ही उन्होंने इन विधेयकों के विरोध में विपक्षी दलों द्वारा की जा रही टिप्पणियों को भ्रमित करने का कुत्सित प्रयास बताया। उन्होंने किसान से अपील की है कि वह किसी के बहकावे में न आएं। कुछ लोगों को किसानों की उन्नति रास नहीं आती। यह वही लोग हैं जिन्होंने बीते छह-सात दशकों तक किसानों को महज वोट बैंक समझा। कृषि क्षेत्र में नए युग का होगा आरम्भ मुख्यमंत्री ने कहा है कि यह विधेयक कृषि क्षेत्र में व्यापक बदलाव लाने वाले सिद्ध होंगे। उन्होंने कहा कि इन विधेयकों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संकल्पों का प्रतिबिंब देखा जा सकता है।
इन विधेयकों को कृषि क्षेत्र में नए युग का आरम्भ करने वाला बताते हुए उन्होंने कहा कि यह विधेयक किसानों के हितों का संरक्षण सुनिश्चित करेंगे। मुख्यमंत्री ने इसके लिए प्रधानमंत्री के प्रति आभार भी जताया है। उन्होंने कहा कि यह दोनों विधेयक पूर्ण रूप से कृषि और किसानों के हित में हैं। यह किसानों की आय में कई गुना वृद्धि करने वाली सिद्ध होंगे। उन्होंने इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ऐतिहासिक एवं अभिनव कदम भी बताया। किसानों को कानूनी बंधनों से आजादी मिलेगी, रोजगार के बढ़ेंगे अवसर मुख्यमंत्री ने कहा कि अब किसानों को कानूनी बंधनों से आजादी मिलेगी, कृषि क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन आएगा, खेती-किसानी में निजी निवेश होने से तेज विकास होगा तथा रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। कृषि क्षेत्र की अर्थव्यवस्था मजबूत होने से देश की आर्थिक स्थिति और सुदृढ़ होगी।
कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक, 2020 कृषि उपज के कुशल, पारदर्शी और बाधारहित अंतर-राज्य और राज्य के भीतर व्यापार और वाणिज्य को बढ़ावा देगा। इससे किसानों को बिक्री और खरीद के लिए पसंद की स्वतंत्रता प्राप्त होगी। मण्डी शुल्क समाप्त करने का किसानों को मिला लाभ मुख्यमंत्री ने बताया कि लाॅकडाउन के दौरान ही राज्य सरकार ने फल व सब्जी में 45 जिंसों को मण्डी शुल्क से मुक्त कर दिया, जिसका किसानों को सीधा लाभ मिला। किसान अब अपने फल या सब्जी की राज्य में कहीं से भी बिक्री करने के लिए स्वतंत्र हैं। किसानों को मण्डियों में भी अपनी उपज का विक्रय करने का विकल्प उपलब्ध है, जहां मण्डी शुल्क के स्थान पर मात्र 01 प्रतिशत यूजर चार्ज क्रय करने वाले व्यापारियों से लिया जा रहा है।
126.36 लाख मीट्रिक टन चीनी का हुआ उत्पादन राज्य सरकार के निर्देशानुसार प्रदेश की सभी 119 गन्ना मिलों को पूरी क्षमता से संचालित कर प्रदेश में उत्पादित 1,118 लाख टन गन्ने की पेराई करा 126.36 लाख मीट्रिक टन चीनी का उत्पादन किया गया। साथ ही, 150 लाख लीटर सेनेटाइजर का भी उत्पादन किया गया। इसके साथ ही मण्डी परिषद तथा स्टेट वेयर हाउसिंग कारपोरेशन द्वारा संयुक्त रूप से 37 मण्डी परिसरों में 5-5 हजार मीट्रिक टन के गोदामों का निर्माण कराया जा रहा है। इन गोदामों में किसान अपनी उपज 30 दिनों तक बिना किसी शुल्क के रख सकेंगे।
इसके बाद सामान्य दरों पर 30 प्रतिशत छूट पर किराया अनुमन्य होगा। इस सुविधा से किसान अपनी उपज को सुरक्षित रखते हुए ऐसे समय बिक्री कर सकेंगे, जब उन्हें अपनी उपज का बाजार में अच्छा दाम मिले। उन्होंने कहा कि ऐसी व्यवस्था की गई है कि किसानों द्वारा भण्डारित कृषि उपज को प्रतिभूति की भांति मान्यता प्राप्त होगी और इसके आधार पर किसानों को बैंक से ऋण सुविधा प्राप्त हो सकेगी। इससे यह अपने कृषि एवं अन्य कार्यों की प्रतिपूर्ति कर सकेंगे। वाराणसी और अमरोहा में मैंगो हाउस की होगी स्थापना राज्य सरकार ने जनपद वाराणसी व अमरोहा में मैंगो हाउस स्थापित करने का निर्णय किया है जिससे आम उत्पादन पर मूल्य संवर्धन करते हुए हुए देश सहित विदेशी बाजार में विक्रय का बेहतर अवसर प्राप्त हो सके। प्रदेश सरकार द्वारा विगत विधानमण्डल सत्र में पारित विधेयक के माध्यम से कृषि मण्डी अधिनियम में संशोधन कराया गया। इसमें किसान उपभोक्ता बाजार तथा वेयर हाउस, कोल्ड स्टोरेज, साइलोस को मण्डी उप स्थलों के रूप में प्रोत्साहित करने के प्राविधान किये गए हैं।
इन प्राविधानों से किसानों को अपनी उपज की सीधी बिक्री हेतु और विकल्प उपलब्ध होंगे। 27 प्रमुख मण्डियों को आधुनिक किसान मण्डी के रूप में किया जा रहा विकसित प्रदेश में 27 प्रमुख मण्डियों को वर्तमान में आधुनिक किसान मण्डी के रूप में विकसित किया जा रहा है। 24 मण्डियों में फल और सब्जी आदि को सुरक्षित व गुणवत्तापूर्वक रखने हेतु कोल्ड स्टोरेज व राइपनिंग चैम्बर की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है ताकि किसान अपनी उपज का सही मूल्य मिलने के लिए 1-2 दिवस की प्रतीक्षा भी कर सकें तथा राइपनिंग चैम्बर द्वारा उपज को उचित प्रकार व गुणवत्तायुक्त ढंग से पका सकें। इस परियोजना के अन्तर्गत मण्डी में 20 एमटी कैपेसिटी के राइपनिंग चैम्बर तथा 10 एमटी क्षमता का कोल्ड चैम्बर स्थापित किया जायेगा। प्रत्येक पर लगभग 3 करोड़ रुपये की लागत आयेगी।
इस परियोजना को वित्तीय वर्ष 2020-21 में पूर्ण किया जाना लक्षित है। एफपीओ को प्रोत्साहित करने के लिए व्यापक नीति जल्द केन्द्र सरकार की नीतियों और सुदृढ़ करने के लिए राज्य सरकार कृषक उत्पादक संगठनों (एफपीओ) को प्रोत्साहित करने के लिए एक व्यापक नीति शीघ्र लेकर आ रही है। इस नीति के अन्तर्गत प्रदेश में क्रियाशील व भविष्य में गठित होने वाले एफपीओ को कन्वर्जन्स के माध्यम से केन्द्र व राज्य की विभिन्न कल्याणकारी नीतियों का लाभ दिया जा सकेगा। एफपीओ की समस्याओं का निराकरण करने के लिए कृषि विभाग के अधीन डेडीकेटेड सेल गठित कर वरिष्ठ अधिकारियों व विशेषज्ञों के दल को तैनात किया जायेगा।
ब्याज की छूट पर पूंजी कराई जाएगी उपलब्ध एफपीओ की क्रियाशील पूंजी की समस्या के निराकरण के लिए उन्हें ब्याज की छूट पर क्रियाशील पूंजी उपलब्ध कराई जाएगी तथा इस छूट का व्यय भार राज्य सरकार वहन करेगी। एफपीओ के गठन से कृषि विपणन का उपलब्ध लाभ सीधे किसानों को मिलेगा। इससे वे कृषि कार्य की लागत कम करते हुए उत्पादकता व गुणवत्ता में सुधार लाकर अपनी उपज का अधिक मूल्य प्राप्त कर सकेंगे। किसानों को मिलेगा सुधारों का व्यापक तथा सकारात्मक लाभ मुख्यमंत्री ने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा किये गये सुधारों का व्यापक तथा सकारात्मक लाभ मिलेगा। किसानों को अपनी उपज को मण्डी परिसरों में विक्रय करने में बाध्यता को पूरी तरह से समाप्त कर दिया गया है। अब वे प्रदेश के अधिसूचित मण्डी के अतिरिक्त किसी और स्थान जैसे भण्डार गृह, कोल्ड स्टोरेज या खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों में अपनी उपज विक्रय कर सकेंगे।
फार्म गेट पर ही व्यापारियों, निर्यातकों या खाद्य प्रसस्करण इकाइयों को उचित दाम लेकर विक्रय कर सकेंगे। इससे किसानों का यातायात एवं ढुलान पर व्यय बचेगा और हानि को बचाया जा सकेगा। किसान से व्यक्तिगत स्तर पर या संगठित तरीके से हो सकेगा समझौता काॅन्ट्रैक्ट फार्मिंग को बढ़ावा मिलने से खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां, निर्यातक तथा अन्य व्यापारी, किसान से व्यक्तिगत स्तर पर या संगठित तरीके से समझौता कर सकेंगे। इससे किसानों को खाद, बीज व अन्य इनपुट्स को कम दरों पर उपलब्ध कराने, आधुनिक तकनीकी का प्रयोग कर कृषि कार्य कराने एवं उनकी उपज को बेहतर बाजार उपलब्ध कराने में सुविधा होगी।
कृषकों को राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय बाजार की मांग के अनुसार कृषि कार्य करने के अवसर भी प्राप्त होंगे। प्रदेश में बाहर से आने वाले कृषि उत्पाद पर मण्डी शुल्क समाप्त होने पर जहां एक ओर उपभोक्ताओं का भी लाभ मिलेगा, वहीं खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को भी निर्बाध रूप से कच्चा माल प्राप्त हो सकेगा। इससे ईज आफ डूईंग बिजनेस को बढ़ावा मिलेगा। कोरोना काल में भी उप्र के किसानों से हुई 35.77 लाख टन गेहूं खरीद मुख्यमंत्री ने कहा कि केन्द्र और राज्य सरकार किसानों की उपज के न्यूनतम समर्थन मूल्य हेतु कटिबद्ध है। कोविड काल में भी प्रदेश के किसानों का 35.77 लाख टन गेहूं क्रय किया गया। साथ ही दलहन व तिलहन फसलों की भी खरीद की गई। यह सुनिश्चित किया गया कि बाजार मूल्य, न्यूनतम समर्थन मूल्य या उससे अधिक रहे। किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए धान, तिलहन व दलहन को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर क्रय करने की पूरी तैयारी की जा रही है।