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धोखा संबधों के लिए छलावा साबित होता है

प्रदीप चौधरी

स. सम्पादक शिवाकान्त पाठक

हरिव्दार! ऐक भेंट वार्ता के दौरान जनकल्याण सेवा ट्रस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रदीप चौधरी ने कहा कि
धोखा, छल, बेईमानी, झांसा, डराना और चाल सच बताने के ऐसे तरीके हैं जो पूर्णतया सच नहीं होते। यह आधे सच और आधे झूठ का मिश्रण होते हैं। धोखे में ढोंग,झूठ प्रचार और हाथ की सफाई शामिल हो सकती है। इसके लिए ध्यान भंग, छल या छिपाव का प्रयोग भी किया जा सकता है। ऐसे में किसी को भी धोखा दिया जा सकता है।

धोखा एक प्रमुख संबंधपरक उल्लंघन है, जो संबंधित भागीदारों में अक्सर विश्वासघात और अविश्वास की भावनाओं को जन्म देता है। धोखा संबंधपरक नियमों का उल्लंघन करता है और इसे उम्मीदों का नकारात्मक उल्लंघन माना जाता है। ज्यादातर लोग दोस्तों, संबंधित भागीदारों और यहां तक कि अजनबियों के भी हमेशा सच्चे होने की उम्मीद करते हैं। परन्तु धोखे बाज लोगों की अधिकांश बातचीत झूठी होती है वह दूसरों से विश्वसनीय जानकारी हासिल करने के लिए या उन्हें नुकसान पहुँचाने के मकसद से एक छलआवरण तैयार करते हैं। किसी भी दिन, यकीनन अधिकतर लोग या तो किसी को धोखा देंते हैं या किसी से धोखा खाते हैं। रूमानी और संबंधित भागीदारों के बीच उल्लेखनीय हद तक धोखा होता है।

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