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चुंटिया चक्की ने बना दिया सबको अपना मुरीद

जोधपुर । जोधपुर (everyone’s fan) की गली-गली में बिकने वाले इस तीखे स्वाद के बारे में तो आपने सुना ही होगा, लेकिन आज बात करेंगे यहां की खास मिठाई (everyone’s fan) की, जिसके एक नहीं 5-5 नाम हैं। जिस शॉप पर ये मिठाई मिलती है, वो बैंक की तरह 10 बजे खुलती है और 5 बजे क्लोज हो जाती है।

अब आप सोचेंगे की दाल, बादाम, बेसन और किटी यानी मावा चक्की तो खाई है, लेकिन यह चुंटिया चक्की है क्या? तो आपको बता देते हैं कि यह चक्की बनती तो बेसन से ही है, लेकिन हर चक्की के पीस में से घी रिसता है। घी के इस रिसाव से हाथ में चिकनाई लग जाती है।

चिकनाई को ठेठ मारवाड़ी में चिंगट कहते हैं। इसलिए इसे चिंगटी चक्की भी कहा जाता है। यही वजह है कि ये चक्की अपनी प्योरिटी और स्वाद के लिए जानी जाती है। भट्टी के कारण दुकान की दीवारें काली ज़रूर हैं, लेकिन लोगों को दुकान की डेकोरेशन से कोई लेना-देना नहीं।

खाने वालों की इतनी भीड़ लगती है कि जिसे मिल जाए वो खुद को लक्की मानता है, नहीं तो दूसरा-तीसरा चक्कर भी लगाना पड़ता है। ये लाजवाब मिठाई मिलती है मारवाड़ की पुरानी राजधानी मंडोर में। चक्की बनाने में इस्तेमाल होने वाला बेसन भी दुकान पर ही दाल को पीसकर तैयार करते हैं।

दूध से मावा भी यहीं बनाते हैं। मंडोर का इतिहास तो 1600 साल से भी ज्यादा पुराना है, लेकिन आजादी के पहले से तैयार हो रही चुंटिया चक्की ने सबको अपना मुरीद बना दिया है। ऐतिहासिक मंडोर गार्डन पहुंचते ही घी की महक आपके नाक तक पहुंचे तो समझ जाइए कि आस-पास ही चुंटिया चक्की तैयार हो रही है। ये महक आपको ले जाएगी चंद कदम दूर एक पुरानी शॉप स्वदेशी स्वीट होम तक।

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