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मॉल के बाथरूम में कपड़े बदले, लोकल में सफर किया, पर हिम्मत नहीं हारी – मृणाल ठाकुर

एक आम सी दिखने वाली लड़की बिना किसी गॉडफादर के हिंदी सिनेमा में अपना नाम कमा सकती है, इस धारणा को अलग अलग दौर में कई अभिनेत्रियों ने मजबूत किया है। माधुरी दीक्षित एक साधारण परिवार से निकलीं और हिंदी सिनेमा पर छा गईं।

एक और मराठी मुलगी इसी क्रम को आगे बढ़ाती दिख रही है। नाम, मृणाल ठाकुर। मृणाल ठाकुर बीते 10 साल से सिनेमा में सम्मान पाने का संघर्ष करती रही हैं और अब जाकर फिल्म सीताराम  में उनका नैसर्गिक सौंदर्य अपने पूरे रूप और लावण्य के साथ बड़े परदे पर झलका है। बाटला हाउस , जर्सी और सुपर 30 जैसी फिल्मों से अपनी पहचान बनाने वाली मृणाल ठाकुर इन दिनों बहुत खुश हैं। लेकिन, इस कामयाबी का सफर किसी प्रेरणादायक कहानी से कम नहीं रहा है। आइए आपको बताते हैं, उनके पांच सक्सेस

अभिनेत्री मृणाल ठाकुर
अभिनेत्री मृणाल ठाकुर

हारिए न हिम्मत, बिसारिए न राम..

मराठी और हिंदी सिनेमा की चर्चित अभिनेत्री मृणाल ठाकुर की पहली तेलुगू फिल्म ‘सीतारामम’ की इन दिनों खूब चर्चा है। साउथ में मिली जबर्दस्त सफलता के बाद जब यह फिल्म हिंदी में डब होकर रिलीज हुई तो हिंदीभाषी दर्शकों ने भी इसे खूब पसंद किया। शुक्रवार को मुंबई में इस फिल्म की सफलता को लेकर प्रेस कांफ्रेंस हुई।

यहां मृणाल ठाकुर ने अपने बीते दिनों को याद किया तो भावुक हो गईं। उन्होंने कहा, ह्यआज जिस मॉल में मैं खड़ी हूं। यहां पर संघर्ष के दौरान मैंने काफी वक्त बिताया है। लेकिन, संघर्ष कर रहे युवाओं से मेरा बस यही कहना है कि हिम्मत नहीं हारनी है। हर विफलता आने वाली सफलता की तरफ बढ़ा एक और कदम है।

जमीन से जुड़े रहना जरूरी

‘सीतारामम’ के हिंदी संस्करण की सफलता को लेकर मुंबई अंधेरी स्थित इनफिनिटी मॉल के पीवीआर थियेटर में हुई प्रेस कांफ्रेंस में मृणाल कई बार भावुक हुईं। वह बताती हैं, ‘इनफिनिटी मॉल ऐसी जगह है जहां मैं आकर घंटो घंटो बैठती थी। उन दिनों मैं टाउन में रहती थी। अंधेरी आने के लिए टाउन से वडाला लोकल ट्रेन से आती और वहां से ट्रेन बदलकर अंधेरी और फिर अंधेरी स्टेशन से बस पकड़ कर इंफिनिटी मॉल आती थी।’

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सफलता के लिए धैर्य जरूरी

मृणाल ठाकुर कहती हैं, ‘उन दिनों अंधेरी में मेरा कोई दोस्त नहीं था जिसके घर जाकर मैं टाइम पास कर सकूं। सारे ऑडिशन अंधेरी में ही होते थे। मैं इनफिनिटी मॉल पहुंचकर इसके बाथरूम में ड्रेस चेंज करती थी, उसके बाद ऑडिशन के लिए जाती थी। कभी कभी दो ऑडिशन के बीच काफी लंबे समय का अंतराल होता था, तब इनफिनिटी मॉल में ही आकर टाइम पास करती थी। अगर दो तीन घंटे का समय होता था तो यहीं कोई ना कोई फिल्म देख लेती थी। मेरा यही कहना है कि धैर्य ही आपका सबसे बड़ा साथी है और यही आपके काम भी आता है।’

अभिनेत्री मृणाल ठाकुर
अभिनेत्री मृणाल ठाकुर

आहिस्ता आहिस्ता, सधे कदम

साल 2012 में मृणाल ठाकुर ने धारावाहिक ‘मुझसे कुछ कहती, ये खामोशियां’ के जरिए कैमरे के सामने अपना हुनर दिखाना शुरू किया। साल 2018 में बड़े परदे पर वह पहली बार फिल्म ‘लव सोनिया’ में नजर आईं। मृणाल ठाकुर कहती हैं, ‘धीरज के साथ लगातार मेहनत ही मुझे यहां लेकर आई है। हड़बड़ी से जीवन में कुछ भी हासिल नहीं होता। मुझे इंडस्ट्री में आए दस साल हो गए लेकिन सिनेमा में अभी कुछ अरसा पहले ही मैंने कदम रखा है। मैं बस धीरे धीरे सीढ़ियां चढ़ती गई और आज यहां तक पहुंच गई।’

मन की स्थिरता में ही शांति

मृणाल ठाकुर की पिछली फिल्म ‘जर्सी’ हिंदी में उतनी सफल नहीं रही जितनी सफलता इसी कहानी पर बनी मूल तमिल फिल्म को मिली थी। मृणाल ठाकुर कहती हैं, ‘एक बात मुझे  सुपर 30 की शूटिंग के दौरान साथी कलाकार ऋतिक रोशन ने बताई थी। उन्होंने कहा कि सफलता मिले या असफलता,

दोनों को समान रूप से ग्रहण करना चाहिए। दोनों मामलों में हमारी प्रतिक्रिया एक समान होनी चाहिए। सुख का भोग नहीं करेंगे तो दुख का भोग भी नहीं करना होगा। मैं भी अब इसी भाव को अपने मन में रखने लगी हूं।’

 

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