चंद्रेश्वर हाता (Chandreshwar Hata )के लोगों ने पलायन की खबरों का किया खंडन
कानपुर. यूपी के कानपुर में 3 जून को हुई हिंसा के बाद पुलिस ताबड़तोड़ एक्शन ले रही है. अब तक 50 से अधिक उपद्रवियों को गिरफ्तार किया जा चुका है, जिसमें हिंसा के मास्टरमाइंड जफर हयात हाशमी, जावेद अहमद खान, मोहम्मद राहिल, मोहम्मद सुफियान और समाजवादी पार्टी के शहर सचिव रहे निजाम कुरैशी समेत कई नाम शामिल हैं. वहीं, मंगलवार की शाम और बुधवार की सुबह से चन्द्रेश्वर हाता में रहने वाले लोगों के पलायन की खबर कई जगह चलने से हड़कंप मच गया.
इस बीच चन्द्रेश्वर हाता के लोगों ने बुधवार शाम को एक पोस्टर लगाकर मीडिया और सोशल मीडिया में चल रही खबरों का खंडन किया है. इसके साथ एक पोस्टर लगाया गया है. इस पोस्टर पर लिखा है, ‘ पलायन (Chandreshwar Hata ) नहीं पराक्रम करेंगे, भाम्रक मीडिया का बहिष्कार करेंगे.’
उपद्रवियों से लिया जमकर लोहा
जुमे की नमाज के बाद उपद्रवियों ने परेड रोड पर जमकर पत्थर और बमबारी की थी, लेकिन चन्द्रेश्वर हाता में रहने वालों लोगों ने मोर्चा लेते हुए उन्हें रोक दिया था. जानकारी के मुताबिक, इस दौरान कुछ उपद्रवियों ने चन्द्रेश्वर हाता के लोगों को खुली धमकी दी कि हाता छोड़कर चले जाओ, वरना कोई नहीं बचेगा. इसके बाद मीडिया खबर चलने लगी की कुछ लोग हिंसा के अगले दिन पलायन कर गए हैं.
वहीं, चन्द्रेश्वर हाता की रहने वाली एक महिला ने कहा कि यह जमीन हमारी है और यहां से पलायन करने का सवाल ही नहीं उठता. हम यहीं रहेंगे. हम किसी से डरने वाले नहीं हैं. जानकारी के मुताबिक, कानपुर की नई सड़क और यतीमखाना क्षेत्र में आज से 20-30 साल पहले कई हिंदू बस्तियां (हाता) थीं, जो कि बिगड़ते माहौल की वजह से धीरे-धीरे खाली हो गई हैं.
कानपुर हिंसा के मास्टरमाइंड हयात जफर हाशमी को मिल रही थी विदेशी फंडिंग?
कानपुर हिंसा के मास्टरमाइंड हयात जफर हाशमी और उसके साथियों को विदेश से फंडिंग की जा रही थी. सूत्रों के हवाले से मिल रही खबर के मुताबिक, 2019 से हाशमी को विदेशों से फंडिंग हो रही थी. कानपुर के बाबूपुरवा इलाके के एक प्राइवेट बैंक में 2019 को एक खाता खोला गया. इस बैंक के अकाउंट नंबर 50014717838 में 30 जुलाई 2019 को तीन करोड़ 54 लाख रुपये जमा किये गए. सितंबर 2021 को 98 लाख रुपया एक मुश्त निकाला गया. अभी इस खाते में एक करोड़ 27 लाख रुपये पड़े हैं. सी तरह अन्य दो और खातों की जानकारी जांच एजेंसियों को मिली है. इन खातों में महज दो तीन सालों में 47 करोड़ 68 लाख रुपयों का लेन देन हुआ है. अब इन खातों में महज साढ़े 11 लाख ही बचा है, जबकि ये खाते 2019 में ही खोले गए थे. अब पुलिस इस एंगल से भी जांच कर रही है.