चंद्रयान-3 (चंद्रयान-3 )का रास्ता दिलाएगा सफलता…?
नई दिल्ली. रूसी स्पेस एजेंसी रॉसकॉसमॉस का लूना-25 चंद्रयान-3 के बाद चंद्रमा के सफर पर निकला था, लेकिन वह पहले चांद के करीब पहुंचा गया और क्रैश हो गया. वैज्ञानिकों ने माना है कि स्पीड अनियंत्रित होने के चलते लूना चांद पर जाकर क्रैश हुआ. ऐसे में वैज्ञानिक यह दावा कर रहे हैं कि चंद्रयान-3 (चंद्रयान-3 ) का रूट लूना-25 की तुलना में ज़्यादा सुरक्षित है, इस कारण इसकी सॉफ्ट लैंडिंग की संभावना बहुत ज्यादा है.
दिल्ली स्थित नेहरू प्लेनेटेरियम के एक्सपर्ट ओपी गुप्ता और बालाचंद्रन नेबताया कि लूना-25 पृथ्वी से प्रक्षेपित किए जाने के बाद सीधा चांद की तरफ गया, जबकि चंद्रयान पहले पृथ्वी की ऑर्बिट में घूमा और उसके बाद धीरे-धीरे चंद्रमा की ऑर्बिट में शिफ्ट हुआ था और अब कई दिन से चंद्रमा की ऑर्बिट में घूम रहा है. विशेषज्ञों का मानना है कि डायरेक्ट रूट अपनाने वाला तीन में से एक मिशन फेल हो जाता है. वहीं चंद्रयान-3 ने जो रास्ता अपनाया है, उसके फेल होने की आशंका न के बराबर है.
महज 66 मिशन ही रहे सफल
जानकारी के लिए बता दें कि बीते 7 दशक में कुल 111 मिशन चांद पर भेजे गए हैं, जिनमें से महज़ 66 ही सफल रहे हैं. इसरो के पूर्व प्रमुख जी माधवन नायर भी कई बार यह कह चुके हैं कि चंद्रमा पर मिशन सफल होने की संभावना 50-50 रहती है.
हालांकि इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने यह भरोसा जताया है कि चंद्रयान-3 का विक्रम लैंडर 23 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने में सक्षम होगा. उन्होंने दावा किया कि अगर इसके सभी सेंसर और दो इंजन काम नहीं करेंगे तो भी लैंडिंग निश्चित है. विक्रम लैंडर के 23 अगस्त को चंद्रमा पर सफलतापूर्वक लैंड करने की उम्मीद है.
सोमनाथ ने इस महीने की शुरुआत में कहा था, ‘अगर सब कुछ फेल हो जाए, अगर सभी सेंसर फेल हो जाएं, कुछ भी काम न करे, फिर भी यह (विक्रम) लैंडिंग करेगा. इसे इसी तरह डिजाइन किया गया है- बशर्ते प्रणोदन प्रणाली अच्छी तरह से काम करे.’
बता दें कि चंद्रयान-2 की असफलता के बाद चंद्रयान-3 को 14 जुलाई को प्रक्षेपित किया गया था. चंद्रयान-3 को चंद्रमा की सतह पर सफलता से उतरने और विचरण करने की क्षमताओं को प्रदर्शित करने के लिए भेजा गया है.