चीन को चुनौती: लद्दाख में प्रोजेक्ट ज़ोरावर,Project Zorawar) भारतीय सेना के लाइट टैंक
नई दिल्ली. भारत और चीन सीमा तनाव के बीच पूर्वी लद्दाख में भारतीय सेना ने कम समय में अपने भारी-भरकम टैंकों को भेज कर चीन को न सिर्फ़ चौंका दिया बल्कि उसके सारे प्लान पर पानी भी फेर दिया था. पैंगाग के दक्षिणी छोर पर चीन के टैंकों के सामने जब भारतीय T-72 और T-90 टैंकों ने मोर्चा संभाला को चीन को उल्टे पैर अपने टैंकों को वापस ले जाना पड़ा. हर जंग या विवाद से बहुत कुछ सीखने को मिलता है, भारतीय सेना ने भी हाई ऑलटेट्यूड एरिया में अपनी ताक़त को दोगुना करने के लिए सबक लिया और बना लिया एक ऐसा प्लान जिसका नाम है ‘प्रोजेक्ट ज़ोरावर’.( Project Zorawar)
दरअसल ज़ोरावर नाम सुनकर उस महान सेनापति का नाम ज़ेहन में आ जाता है जिसने लद्दाख, तिब्बत और गिलगित बालटिस्तान को जीता था. अब उसी योद्धा के नाम भारतीय थलसेना ने एलएसी के हाई ऑलटेट्यूड एरिया में अपने लाइट टैंक उतारने की तैयारी कर ली है. सूत्रों के मुताबिक़ थलसेना ने प्रोजेक्ट ज़ोरावर के तहत एक 25 टन के 350 लाइट टैंक को भारतीय सेना में शामिल करना चाहती है. 22 अप्रैल 2021 में पहली बार सेना ने ट्रेक लाइट टैंक की खरीद के लिए RFI यानी रिक्वेस्ट फ़ॉर इंफ़ॉरमेशन जारी किया. उस RFI के तहत भारतीय स्वदेशी कंपनियों से लाइट टैंक में भारतीय सेना की ज़रूरत को बताया गया जिसमें साफ़ कहा गया है कि ये टैंक स्वदेशी और स्टेट ऑफ आर्ट इक्विपमैंट होंगा. भारतीय सेना तकरीबन 350 लाइट टैंक को लेने की तैयारी में है हर टैंक का वजन 25 टन का होगा चाहिए. अगर हम चीन के लाइट टैंक की बात करें तो चीन ने अपने ZTQ -15 या कहें टाईप 15 टैंक को पूरे एलएसी पर तैनात कर रखा है. ये टैंक 33 टन वज़नी है और कम वजन के चलते से ये आसानी से हाई ऑलटेट्यूड के इलकों में उंचाई वाली जगह पर आसानी से चढ़ जाते हैं. वहीं भारतीय सेना के मौजूदा रूसी निर्मित टैंक T-72 और T-90 का वजन 40 टन से ज़्यादा है लेकिन भारतीय टैंक की मारक क्षमता चीनी लाईट टैंक से बहुत मज़बूत है
चीन ने सेना में 400 से ज़्यादा टैंक को शामिल किया
दो साल पहले जब भारत चीन के बीच एलएसी पर तनाव हुआ तो भारतीय सेना के अपने टैंक कर C-17 ग्लोब मास्टर और IL -76 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ़्ट के ज़रिए लेह तक पहुँचाए गए और उसके बाद उन्हें सड़क के ज़रिए एलएसी के पास तक पहुँचाया गया. ज़ाहिर सी बात है कि ये एक जटिल ऑप्रेशन था लेकिन अब भारतीय सेना के पास लाइट टैंक होने के बाद इन ऑप्रेशन को करने में सरलता होगी. टाईप 15 चीन का तीसरी पीढ़ी का टैंक है जो कि 2017 में डोक्लाम विवाद के बाद साल 2018 में चीनी सेना में 400 से ज़्यादा टैंक को शामिल किया गया और धीरे-धीरे उसकी तैनाती पूरे एलएसी पर कर दी. चीन के इसी लाइट टैंक को जवाब देने के लिए भारतीय सेना ने तीसरी पीढ़ी के लाइट टैंक लेने की तैयारी कर ली है.
आरएफआई में किया एरियल ख़तरे से बचाने का जिक्र
सूत्रों के मुताबिक़ इस टैंक का डिज़ाइन भारतीय सेना ने तैयार किया है जिसे की स्वदेशी कंपनियों से तैयार करवाया जाएगा. भारतीय सेना के आरएफआई के मुताबिक़ इस लाइट टैंक की स्पीड अधिकतम होनी चाहिए. यहाँ तक की रिवर्स में भी, ये टैंक हर टेरेन में फ़र्स्ट राउंड हिट होगा यानी की एक राउंड में ही दुश्मन के टैंक और बख्तरबंद बंद गाड़ियों को सटीक निशाना बनाएगा. इसकी डिज़ाइन ऐसी होगी जो कि रोड और रेल के ज़रिए आसानी से मूव कराए जा सके. इस टैंक में जितने भी सिस्टम लगे होंगे, वो हाई ऑलटेट्यूड के माइनस तापमान और रेगिस्तान के अधिकतम तापमान में भी अधिकतम फ़ायर रेंज होगी. इस लाइट टैंक में क्रू 2 से 3 होंगे. अर्मेनिया और अज़रबैजान और मौजूदा रूस यूक्रेन की जंग से इस बात का तो अंदाज़ा लग ही गया कि टैंक जंग जीतने के लिए तो ज़रूरी है लेकिन इन्हें एरियल ख़तरे यानी आर्यूम एवी और एंटी टैंक गाइडेड मिसाइलों के ख़तरे से भी बचाना लिहाजा आरएफआई में पहले ही इस बात को ध्यान में रखकर तैयार कर ली गई थी.
आरएफआई में शर्त और जरूरत का जिक्र
आरएफआई में इस नए लाइट टैंक की खूबी में दुश्मन के टैंक के अलावा यूएवी ,आर्मड वेहिकल को निशाना बनाने की क़ाबिलियत का होना ज़रूरी किया गया है चूँकि टैंक के बैरल का एलिवेशन बहुत ज़्यादा नहीं होता लेहाजा हाई एंगल फ़ायर की खूबी होनी जरूरी है. साथ ही टैंक में राउंड लोड भी ऑटोमैटिक होना चाहिये. साथ ही एक्सप्लोसिव रियेक्टिव आर्मर, सॉफ़्ट किल, कैमिकल , बायोलॉजिकल, न्यूक्लियर प्रोटेक्शन के साथ-साथ फ़ायर डिटेक्शन एंड सप्रेसन सिस्टम भी होना अनिवार्य हो. साथ ही मॉर्डर्न एडवांस्ड मल्टी पर्पज स्मार्ट म्यूनेशन के साथ गन ट्यूब से लांच होने वाले एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल से लैस होगा ये आधुनिक टैंक में दिन-रात दोनों समय में हाई रेजुल्यूशन साइट और रीयल टाईम सिचुएशनल अवेयरनेस उपकरण होगा. साथ ही हर तरह के एंटी एयरक्राफ़्ट और अलग-अलग कैलिबर के मल्टिप्ल वेपन रिमोट कंट्रोल वेपन स्टेशन होगा.
सूत्रों के मुताबिक़ जल्दी ही रक्षा मंत्रालय की ख़रीद परिषद में इस प्रोजेक्ट ज़ोरावर को मंज़ूरी मिल सकती है और एक बार मंज़ूरी मिलने के बाद थलसेना को अगले तीन साल के भीतर इस टैंक का प्रोटोटाइप मिल सकता है. बहरहाल अभी तक टैंक का इस्तेमाल प्लेन और रेगिस्तान में लड़ाई लड़ने के लिए इजात भी किए थे और अब तक वही इस्तेमाल भी किए जाते रहे है लेकिन चीन की ज़मीन हड़पने की आदत ने टैंक को हाई ऑलटेट्यूड बैटल फ़ील्ड पर भी उतारने को मजबूर कर दिया और भारत ने मौजूदा टैंकों के साथ चीन की धूल उड़ा दी और लाइट टैंक आने के बाद चीन का हश्र क्या होगा वो समय बताएगा.