दुनियाभर के केंद्रीय बैंकों ने अख्तियार किया आक्रामक रुख
नई दिल्ली । देश (aggressive approach) एक तरफ से महंगाई को काबू पाने के लिए ब्याज दरों को बढ़ाने की योजना जारी रखे हैं। उधर, अमेरिका की यह अंतिम वृद्धि दर होगी क्योंकि पिछली नीति को भी देखें पहली तिमाही के लिए अनुमान 6 फीसदी से कम है और उसके बाद चीजों में सुधार हुआ है, खासकर महंगाई (aggressive approach) के मोर्चे पर।
अमेरिकी फेडरल रिजर्व बैंक के चेयरमैन का कहना है कि यह कोई नहीं जानता कि ब्याज दरों के बढ़ने से मंदी आएगी। यदि ऐसा होता तो कितनी महत्वपूर्ण होगी, इसका भी पता नहीं है। क्योंकि फेड लगातार चार दशकों में महंगाई का सबसे ज्यादा सामना कर रहा है।अमेरिकी फेडरल ने ब्याज दर में 0.75 फीसदी का इजाफा किया।
इसके बाद बृहस्पतिवार को कई देशों ने ब्याज दरें बढ़ा दीं। आरबीआई महंगाई को रोकने के लिए अब तक तीन बार में 1.40% दरें बढ़ा चुका है। ऐसा अनुमान है कि रेपो दर में 0.35 से 0.50% तक की बढ़ोतरी कर सकता। साथ ही तमाम तरह के कर्ज महंगे हो जाएंगे। तो त्योहारी मौसम में खरीदारी पर असर होगा। इसका महंगाई का लक्ष्य 6% से नीचे है, लेकिन यह लगातार इस लक्ष्य से ऊपर ही बनी है।