केंद्रीय बैंक ने पाकिस्तान सरकार (pakistan government)को खतरे से किया आगाह

नई दिल्ली. भारत का पड़ोसी देश पाकिस्तान (pakistan government) दिवालिया होने की कगार पर पहुंच गया है. कई विदेशी रेटिंग एजेंसियों ने इसकी आशंका जताई है. इसकी प्रमुख वजह पाकिस्तान के पास पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार नहीं होना है. इसलिए पड़ोसी मुल्क विदेशी कर्ज पर डिफॉल्ट कर सकता है. गौरतलब है कि इससे पहले श्रीलंका में यही स्थिति उत्पन्न हुई थी जिसके बाद वहां मौजूदा संकट पैदा हो गया.
श्रीलंका में कोविड-19 के कारण विदेशी पर्यटकों का आगमन बंद हो गया था जिससे उनके पास विदेशी करेंसी की कमी हो गई थी. इसके बाद श्रीलंका भी विदेशी कर्ज चुकाने में नाकाम रहा और उसकी अर्थव्यवस्था आज पूरी तरह चरमरा गई है.
केवल श्रीलंका और पाकिस्तान ही नहीं तुर्की, मिस्र, इथोपिया, घाना और अल सल्वाडोर भी विदेशी कर्ज चुकाने में नाकाम रह सकते हैं. मौजूदा वैश्विक परिस्थितियों, ईंधन व खाद्य सामग्रियों की बढ़ती कीमतों ने कई देशों को घुटनों पर ला दिया है. दुनियाभर के केंद्रीय बैंक ब्याज दरें बढ़ा रहे हैं. इंटरनेशनल रेटिंग एजेंसी फिच ने ऐसे 17 देशों की पहचान की है जो अपना कर्ज चुकाने में नाकाम रह सकते हैं. संकटग्रस्त देशों की सूची में पाकिस्तान, लेबनान, ट्यूनीशिया, घाना, इथोपिया, यूक्रेन, ताजिकिस्तान, अल सल्वाडोर, सूरीनाम, अर्जेंटीना, रूस और बेलारूस शामिल हैं.
पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक ने किया आगाह
स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान ने प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को इस खतरे से आगाह कर दिया है. बैंक ने कहा है कि पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार बहुत कम हो चुका है. बैंक ने कहा है कि इससे वस्तुएं आयात करने में समस्या आएगी और अगर जल्द ही विदेशी मुद्रा का बंदोबस्त नहीं किया गया था पाकिस्तान कुछ आयात नहीं कर पाएगा. वहीं, पाकिस्तान के उद्यमियों ने कहा है कि सरकार की प्रतिकूल नीतियों के कारण विदेशी निवेशकों की रूचि पाकिस्तान में घट रही है. उन्होंने कहा है कि इससे देश में सामाजिक-आर्थिक समस्या खड़ी हो सकती है.
फिलहाल क्या है स्थिति?
पिछले महीने जून में पाकिस्तान में मुद्रास्फीति 21.32 फीसदी के साथ 13 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई थी. देश में खाने-पीने के सामान की कीमतें आसमान छू रही हैं. इसका सबसे अधिक असर मध्यम वर्ग व आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों पर पड़ रहा है. जून में पाकिस्तान की विदेशी मुद्रा भंडा 8.24 अरब डॉलर था. इसके बाद स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान ने सरकार को गैर-जरूरी चीजों के आयात पर रोक लगाने का सुझाव दिया था.