रिश्वतखोरी ही बन गई अर्थव्यवस्था, भ्रष्टाचार आम जनजीवन का हिस्सा

तिबलिसी । जॉर्जिया (common life) एक ऐसा देश, जहां रिश्वतखोरी ही अर्थव्यवस्था बन गई थी। भ्रष्टाचार आम जनजीवन (common life) का हिस्सा था। अब पूर्वी यूरोप के 38 लाख की आबादी वाले इस देश ने दुनिया के सामने भ्रष्टाचार से निपटने की नजीर पेश की है। सरकारी सहायता राशि लोगों तक नहीं पहुंची और सैकड़ों बच्चों की ठंड से मौत हो गई।
पुलिस के कई अधिकारी माफिया बन गए।ऑनलाइन पेमेंट की शुरुआत हुई, तो बिजली का बिल, ट्रैफिक चालान या स्कूल-कॉलेज की फीस सभी भुगतान ऑनलाइन शुरू हो गए। परिणाम यह सामने आया कि नई सरकार के पहले कार्यकाल में देश का बजट 12 गुना बढ़ गया।
सबसे पहले 16 हजार कर्मचारियों वाले ट्रैफिक पुलिस फोर्स को बर्खास्त कर दिया गया। युवाओं की नियुक्ति की गई, जिनमें ज्यादातर महिलाएं थी। कर्मचारियों की संख्या कम रखी गई, पर्याप्त वेतन दिया गया। भ्रष्टाचार पर शोध करने वाले योहान एनवाल का कहना है कि यूनिवर्सिटी में डोनेशन पर एडमिशन होता था।
फिर पसंदीदा ट्रेड के लिए अलग से रिश्वत देनी होती थी। दरअसल, साल 2003 में भ्रष्टाचार के खिलाफ लोग सड़कों पर उतरे और सरकार का तख्ता पलट कर दिया। चुनाव हुए, नई सरकार का गठन हुआ। पहले कम वेतन दिया जाता था और ये माना जाता था कि कर्मचारी कम वेतन की भरपाई रिश्वतखोरी से कर लेंगे।
अब कोई कर्मचारी रिश्वत लेते पकड़ा जाए तो उसे तुरंत बर्खास्त कर दिया जाता है। जॉर्जिया में भ्रष्टाचार इस हद तक बढ़ गया था कि कृषि मंत्री ने देश का गेहूं बेच दिया, लिहाजा ब्रेड की कमी हो गई और लोग भूखों मरने लगे।