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दादा साहेब पाने वाले साउथ के पहले निर्देशक थे बोमिरेड्डी !

मेहनत और काबिलयित के दम पर साउथ सिनेमा में अपनी अलग पहचान बनाने वाले बोम्मिरेड्डी निरसिम्हा रेडी भारतीय सिनेमा के विख्यात व्यक्तित्व थे। वह न सिर्फ बेहतरीन निर्देशक बल्कि बेमिसाल पटकथा लेखक और निर्माता भी थे। 8 नवंबर 1977 में सिनेमा के इस सितारे ने दुनिया को अलविदा कह दिया। दिग्गज कलाकार के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। जानते हैं

सिनेमा में उत्कृष्ट योगदान के लिए प्रतिष्ठित पुरस्कारों से थे सम्मानित

आंध्र प्रदेश में जन्में बोम्मिरेड्डी अपने भाई बहनों में सबसे बड़े थे। अपने कार्यों के लिए उन्हें सिनेमा के प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था। जानकारी के मुताबिक, बोम्मिरेड्डी साउथ सिनेमा से जुडे़ पहले दिग्गज थे, जिन्हें सिनेमा के सर्वोच्च सम्मान दादा साहेब फाल्के से सम्मानित किया गया था। साउथ सिनेमा के पहले दादा साहेब पुरस्कार पाने वाले व्यक्ति रेड्डी को सन 1974 में पद्म भूषण की उपादी दी गई, वहीं इसी वर्ष उन्हें दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से नवाजा गया। इसके अलावा 1955 में फिल्म ‘बांगरु पापा’ के लिए सर्वश्रेष्ठ फीचर तेलुगु फिल्म के लिए राष्ट्रपति रजत पदक से सम्मानित किया गया।

अपने करियर में सिनेमा को दीं ये शानदार फिल्में

बतौर निर्माता निर्देशक व पटकथा लेखकर बोमिरेड्डी निरसिम्मा रेड्डी ने अपने करियर में ‘वंदे मातरम’ (1939), सुमंगली (1940), देवता (1941), स्वर्ग सीमा (1945), मल्लीश्वरी (1951), बांगरू पापा (1954), भाग्य रेखा (1957), राजा मकुटम (1959), पूजा फलम (1964), रंगुला रतनम (1966), और बांगरू पंजारम (1969) जैसी कई फिल्में दीं।

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