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एयर इंडिया के क्रैश हुए विमान का ब्लैक बॉक्स तो मिल गया(ब्लैक बॉक्स )

अहमदाबाद :गुजरात के अहमदाबाद में 12 जून को एयर इंडिया का विमान AI 171 क्रैश हो गया। इस घटना के बाद से पूरे देश में हड़कंप मचा हुआ है। इस बीच अधिकारियों ने पुष्टि की है कि विमान के दुर्घटनाग्रस्त मलबे से विमान के ब्लैक बॉक्स (ब्लैक बॉक्स )(ब्लैक बॉक्स    को बरामद कर लिया गया है। बता दें कि ब्लैक बॉक्स को ही EFAR (वॉयस और डेटा रिकॉर्डर) कहते हैं। इसका पूरा नाम है एन्हांस्ड एयरबोर्ड फ्लाइट रिकॉर्डर। इस मामले की जांच कर रही AAIB को ब्लैक बॉक्स सौंप दिया गया है। काउंसिल ऑफ इंडियन एविएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन जाधव ने भी इसकी पुष्टि की है। ब्लैक बॉक्स के मिल जाने से यह पता चल सकता है कि आखिर यह हादसा कैसे हुआ और विमान में अंतिम क्षणों में क्या हो रहा था। ऐसे में चलिए अब ये बताते हैं कि ब्लैक बॉक्स के मिल जाने के बाद आगे की प्रक्रिया क्या रहने वाली है?

क्या होगी आगे की प्रक्रिया?
ब्लैक बॉक्स मिलने के बाद इसकी जांच की जाएगी। ब्लैक बॉक्स की जांच 2 तरीकों से हो सकती है। अगर भारत में ब्लैक बॉक्स की जांच की जाती है तो इसकी रिपोर्ट को आने में 2 से 4 दिन का समय लग सकता है। वहीं अगर ब्लैक बॉक्स की जांच बोइंग कंपनी करती है या फिर बोइंग की इंजन बनाने वाली कंपनी (जनरल इंजन) इसकी जांच करती है, तो इस रिपोर्ट को आने में 10 से 15 दिन का समय लग सकता है, क्योंकि जनरल इंजन का मुख्यालय अमेरिका के सिएटल में स्थित है। ऐसे में रिपोर्ट आने में देरी हो सकती है।

क्या होता है ब्लैक बॉक्स?
ब्लैकबॉक्स एक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है, जो मुख्य रूप से हवाई जहाजों में उपयोग होता है। इसका काम उड़ान के दौरान डेटा और कॉकपिट की बातचीत को रिकॉर्ड करना है। ब्लैक बॉक्स में दो कंपोनेंट होते हैं। इसमें पहला है कॉकपिट वॉइस रिकॉर्डर (CVR) और दूसरा है डिजिटल फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (DFDR), जो दुर्घटना जांच में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं।

CVR का काम क्या है?
सीवीआर में कॉकपिट में होने वाली बातचीत रिकॉर्ड होती है। आसान शब्दों में कहें तो विमान जब टैक्सी बे से रनवे पर आता है और जब टेक ऑफ होता है तो कॉकपिट में जो पायलट और को-पायलट के बीच बात होती है। उसकी रिकॉर्डिंग सीवीआर में होती है। यानी इस हादसे में प्लेन में पायलट बैठने से लेकर हादसे तक की उनकी बातचीत, उनको होने वाली समस्याओं, उन्हें क्या-क्या किया और क्या कॉल लिए होंगे, ये सब रिकॉर्ड होता है। इस दौरान क्या पायलट या को-पायलट से कोई गलती हुई, उन्होंने क्या कमांड दिए, ये सब रिकॉर्ड होता है।

DFDR का क्या काम होता है?
डीएफडीआर में मैकेनिकल, टेक्निकल और इलेक्ट्रिकल ऑपरेटिंग डेटा की जानकारी रिकॉर्ड होती है। प्लेन की इंजन में खराबी आई, या क्या कोई टेक्निकल या मैकेनिकल दिक्कत थी या फिर कोई इलेक्ट्रिकल दिक्कत थी। डीएफडीआर के डेटा से ये सब पता चलता है।

हादसे की क्या संभावनाएं हो सकती हैं?
अगर विमान हादसे की संभावनाओं पर नजर डालें तो इस हादसे में पायलट की गलती नजर नहीं आती है। फौरी तौर पर वजह ये हो सकती है कि पहला तो प्लेन के ओवरलोड होने से लॉकिंग सिस्टम टूटा होगा और टेक ऑफ के बाद लोड पिछले हिस्से शिफ्ट हुआ होगा, जिससे इंजन पर लोड आया होगा। इसके अलावा दूसरा कारण ये हो सकता है कि इंजन केवल तभी काम करना बंद कर देते हैं जब या तो ओवरलोड से प्रेशर आए, इंजन तक फ्यूल ना पहुंच पाए या फिर फ्यूल में कोई खराबी हो। ऐसी स्थिति में इंजन काम करना बंद कर देते हैं। इसलिए फ्यूल की भी जांच होनी चाहिए। इसके अलावा तीसरा कारण ये हो सकता है कि प्लेन के टेल साइड के एलिवेटर ने टेक ऑफ करते समय काम करना बंद कर दिया हो या फिर उसमें कोई खराबी आ गई हो।

 

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