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केजरीवाल सरकार द्वारा शराब की कमीशन निर्धारित की गयी : भाजपा

नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और लोकसभा सदस्य सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि सोशल मीडिया पर चल रहे शराब घोटाले का दूसरा स्टिंग देखकर दुखद आश्चर्य हुआ की इस स्टिंग ऑपरेशन में शराब घोटाले में आरोपी नम्बर-9 अमित अरोड़ा द्वारा केजरीवाल सरकार पर एडवांस में पैसा लेने-देने करने का जिक्र किया और उसने बताया है कि नयी शराब नीति को इस बात को ध्यान में रखकर बनाया गया है कि चुनिंदा लोगों के हाथों पैसा रहे और उन्हीं के हाथों से कैश फ्लो हो। उदाहरण के तौर पर पूरे भारत में शराब की दो ही बड़े ब्रांड हैं। उनके दो बड़े अधिकृत होलसेलर को दिल्ली में ठेका दिए गए और दो बड़े ब्रांड में डीआईजीओ और पेरीरिकार्ड है। उनके दो बड़े अधिकृत होलसेलर है जिसमें एक ब्रांडको और दूसरा इंडोस्प्रीट है। सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि स्टिंग ऑपरेशन में आरोपी नम्बर-9 अमित अरोड़ ने बताया कि केजरीवाल सरकार को ब्रांडको ब्रांड वाले अमन ढल की तरफ से 60 करोड़ रुपए और इंडो स्प्रीट की समीर महेन्द्रू की तरफ से 100 करोड़ रुपए देने की बात कही गयी है।

केजरीवाल सरकार ने नयी शराब नीति लागू कर पहली बार सरकार द्वारा शराब का  कमीशन निर्धारित की गयी। जबकि शराब कंपनियों द्वारा मैनुफैक्चरर, होलसेलर एवं रिटेल के बीच में कमीशन तय की जाती है। भिन्न-भिन्न रिटेलर का कमीशन परिस्थिति के अनुसार तय होता है, ताकि रिटेलरों के बीच स्वस्थ्य प्रतिस्पर्द्धा बनी रहे। केजरीवाल सरकार द्वारा होलसेर्ल्स के लिए सर्वाधिक शराब कमीश न तय की गयी। किसी उत्पाद के लिए मैनुफैक्चरर का प्राफिट इनपुट अधिक होता है क्योंकि उसे फैक्टी लगाने पर अधिक खर्च करना पड़ता है। रिटेलर के लिए कमीशन ज्यादा होती है। होलसेर्ल्स तो एक प्रकार से बिचौलिया का काम करता है। किन्तु केजरीवाल सरकार में सबसे ज्यादा कमीशन होलसेर्ल्स के लिए निर्धारित की गयी। ऑपरेशन में वह व्यक्ति बता रहा है कि होलसेर्ल्स को अधिक कमीशन लेने का औचित्य क्या था और किसे देना था।

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इसमे यह भी दर्शा रहा है कि शराब घोटाले का पैसा का उपयोग आम आदमी पार्टी द्वारा गोवा और पंजाब के विधानसभा चुनावों में खर्च किया गया।  इसमें यह भी बताया गया कि 5-5 करोड़ रुपए रखा गया है ताकि छोटे करोबारी शराब ठेके में नहीं आ सके। जिनके पास 80 प्रतिशत कारोबार है वे ही शराब ठेके में आ सके। मूलत अन्य राज्यों में शराब नीति इस आधार पर बनायी जाती है कि छोटे-छोटे कारोबारियों को शराब ठेके दिए जा सके और उन्हें काम करने का अवसर मिले। अरविंद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री बनने के बाद कहा था कि कोई स्टिंग बनाकर भ्रष्टाचार का खुलासा करेगा तो हमारी सरकार उस स्टिंग पर तत्काल कार्रवाई करेगी। पब्लिक डोमेन में आयी स्टिंग ऑपरेशन को देखकर जनता सवाल पूछ रही है।

सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि आम आदमी पार्टी और केजरीवाल से मेरा यह सवाल है कि नयी शराब नीति को लेकर जब इस प्रकार की नीतिगत बातें उभरकर सामने आयी तो केजरीवाल सरकार ने क्या कार्यवाही की है। वही क्यों नयी शराब नीति को वापस ली गयी। जबकि शराब घोटाले का खुलासा होने के बावजूद क्यों नयी शराब नीति का समर्थन किया गया। शराब घोटाले को लेकर बनी पहली स्टिंग पर अरविंद केजरीवाल ने कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई। शराब घोटाले पर दूसरा स्टिंग ओपरेशन आने पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कोंई कार्रवाई क्यों नहीं की गई।अरविंद केजरीवाल के आंदोलन के पितृ पुरूष अन्ना हजारे भी शराब मामले को लेकर उन्हें पत्र लिख चुके है,  अन्ना हजारे के पत्र पर अरविंद केजरीवाल ने शराब घोटाले को लेकर क्या कार्रवाई की कई।

भारतीय राजनीति में सत्ता में आने के बाद महज 7-8 वर्षो में ही आम आदमी पार्टी का चरित्र जितना बदला है उतना संभवत किसी पार्टी का चरित्र बदलते नहीं देखा गया है।आम आदमी पार्टी ने अपने लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए क्या किया है, यह स्टिंग ऑपरेशन में  स्पष्ट नजर आया है। शराब नीति में एडवांस, एडजस्टमेंट और कैश आदि का प्रावधान कर अरविंद केजरीवाल सरकार ने एक तरह से लाभार्थी नीति बनायी थी। ऐसा लगता है कि एक तरह से शराब माफिया ही नयी शराब नीति का स्वरुप तय किया था।शराब घोटाले में दस हजार करोड़ रुपए की गड़बडी हुई है। आम आदमी पार्टी के शराब घोटाले की शराब सिर्फ नशीली ही नहीं है बल्कि जहरीली भी है। वह जहर अब सबको दिखने लगा है, इस स्टिंग ऑपरेशन में वैसे नाम भी सामने है जो आम आदमी पार्टी के पदाधिकारी है।

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