बीजेपी ने अपने मेनिफेस्टो ( manifesto)में किया एनआरसी का जिक्र

नई दिल्ली. भाजपा ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए सोमवार को अपना घोषणा पत्र ( manifesto) जारी किया, जिसमें पार्टी के सत्ता में लौटने पर ‘सभी अवैध प्रवासियों’ को वापस भेजने का वादा किया गया है. इस तरह 2021 के असम विधानसभा चुनाव के बाद पहली बार किसी विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) का मुद्दा फिर चर्चा में आ गया है. इसके अलावा पार्टी ने हाल के चुनाव में आजमाई अपनी रणनीति के अनुसार राज्य केंद्रित घोषणापत्र में समान नागरिक संहिता को शामिल किया है और इसे लागू करने की बात कही है.
समान नागरिक संहिता भाजपा का राष्ट्रीय एजेंडा रहा है. पार्टी ने कहा कि अगर वह कर्नाटक की सत्ता में बनी रखती है, तो एक उच्चस्तरीय समिति की सिफारिशों के आधार पर समान नागरिक संहिता लागू की जाएगी. पार्टी ने अब तक असम को छोड़कर विभिन्न विधानसभा चुनावों के घोषणापत्रों में एनआरसी के मुद्दे से परहेज किया था. भाजपा ने 2019 के लोकसभा चुनाव घोषणा पत्र में राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) बनाने और संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) लागू करने का वादा किया था. सीएए को 2019 में संसद से मंजूरी मिल गई थी, लेकिन नियमों के अभाव के चलते इसे लागू नहीं किया गया.
2019 में एनआरसी को लेकर दिया गया था बड़ा बयान
सरकार ने दिसंबर 2019 में एनआरसी और सीएए को लेकर हुए विरोध प्रदर्शनों के बीच कहा था कि उसका देशव्यापी एनआरसी का कोई इरादा नहीं है. सरकार ने विपक्षी दलों पर इस मुद्दे पर ‘झूठ’ फैलाने का आरोप लगाया था. कई मुस्लिम समूहों और विपक्षी दलों ने सीएए और एनआरसी को धार्मिक आधार पर भेदभावपूर्ण करार दिया था. राजनीति के जानकारों को लगता है कि भाजपा एनआरसी का मुद्दा छेड़कर कर्नाटक में अपने हिंदुत्व के एजेंडे को धार देने की कोशिश कर रही है.
यह एक ऐसा मुद्दा है, जो पार्टी समर्थकों के दिल के काफी करीब रहा है. भाजपा कर्नाटक में विपक्षी दल कांग्रेस को सत्ता से दूर रखने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही है. कर्नाटक में किसी भी पार्टी को लगातार दो बार चुनाव में जीत हासिल नहीं हुई है. सोमवार को जारी भाजपा घोषणापत्र में कहा गया है, ‘हम कर्नाटक में राष्ट्रीय नागरिक पंजी बनाएंगे और राज्य से सभी अवैध प्रवासियों की तुरंत वापसी सुनिश्चित करेंगे.’