अंतराष्ट्रीय

इस्लामिक रिपब्लिक की नीतियों में बड़ा बदलाव(इस्लामिक)

ईरान: हेलीकॉप्टर दुर्घटना में इब्राहिम रईसी की मौत के बाद ईरान के लोग आज नए राष्ट्रपति के लिए मतदान करेंगे. सर्वोच्च नेता के प्रति वफादार चार उम्मीदवारों में से एक का चुनाव किया जाएगा. हालांकि इस चुनाव से इस्लामिक  (इस्लामिक) गणराज्य की नीतियों में कोई बड़ा बदलाव आने की संभावना नहीं है, लेकिन इसका परिणाम ईरान के 85 वर्षीय सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई के उत्तराधिकार को प्रभावित कर सकता है.

साढ़े तीन दशक से सत्ता में मौजूद खामेनेई ने आर्थिक कठिनाई, राजनीतिक और सामाजिक स्वतंत्रता पर अंकुश के कारण नाराज जनता से ‘अधिकतम’ वोटिंग की अपील की है.

वोटिंग के बारे में जरूरी बातें
-मतदान स्थानीय समयानुसार सुबह 8:00 बजे (0430 GMT) शुरू होगा और शाम 6:00 बजे (1430 GMT) बजे तक चलेगा लेकिन आमतौर पर इसे आधी रात तक बढ़ाया जाता है.

-मतपत्रों की गिनती मैन्युअल रूप से की जाती है, इसलिए अंतिम परिणाम दो दिनों में घोषित होने की उम्मीद है, हालांकि शुरुआती आंकड़े पहले ही सामने आ सकते हैं.

-अगर कोई भी उम्मीदवार रिक्त मतों सहित डाले गए सभी वोटों में से कम से कम 50 प्रतिशत से अधिक एक वोट नहीं जीतता है, तो चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद पहले शुक्रवार को शीर्ष दो उम्मीदवारों के बीच एक रन-ऑफ राउंड आयोजित किया जाता है.

-उम्मीदवारों में से तीन कट्टरपंथी हैं और एक अपेक्षाकृत उदारवादी है, जिसे सुधारवादी गुट का समर्थन प्राप्त है, हालांकि वह कम लोकप्रिय है.

क्या कहता है घटता मतदान?
ईरान के मौलवी शासन के आलोचकों का कहना है कि हाल के चुनावों में कम और घटते मतदान से पता चलता है कि व्यवस्था की वैधता खत्म हो गई है. 2021 के चुनाव में सिर्फ 48% मतदाताओं ने भाग लिया, जिसने रईसी को सत्ता में ला खड़ा किया. तीन महीने पहले संसदीय चुनाव में मतदान रिकॉर्ड 41% पर पहुंच गया.

सोशल मीडिया पर कई ईरानी चला रहे हैं ये अभियान
रॉयटर्स के मुताबिक पिछले कुछ सप्ताहों में ईरानियों द्वारा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर हैशटैग #ElectionCircus को व्यापक रूप से पोस्ट किया गया है, जिसमें देश और विदेश में कुछ एक्टिविस्ट ने चुनाव का बहिष्कार करने की अपील की है. उनका तर्क है कि अधिक मतदान से इस्लामी गणराज्य को वैधता मिलेगी.

क्या बड़ा बदलाव ला सकते हैं नए राष्ट्रपति?
यह चुनाव ऐसे समय में हो रहा है जब गाजा में इजरायल और ईरानी सहयोगी हमास के बीच युद्ध चल रहा है. ईरान के एक और सहयोगी लेबनान में हिजबुल्लाह और इजरायल के भी युद्ध के करीब पहुंच चुके हैं. इसके अलावा ईरान के तेजी से आगे बढ़ते परमाणु कार्यक्रम से भी पश्चिम परेशान है.

अगले राष्ट्रपति से ईरान के परमाणु कार्यक्रम या मध्य पूर्व में मिलिशिया समूहों के लिए समर्थन पर कोई बड़ा नीतिगत बदलाव करने की उम्मीद नहीं है, क्योंकि खामेनेई स्टेट के टॉप मामलों पर सभी फैसले लेते हैं. हालांकि, राष्ट्रपति दिन-प्रतिदिन सरकार चलाते हैं और ईरान की विदेश और घरेलू नीति के रुख को प्रभावित कर सकते हैं.

कौन हैं प्रमुख उम्मीदवार?
खामेनेई के साथ जुड़े छह मौलवियों और छह न्यायविदों से बना एक कट्टरपंथी निगरानी निकाय उम्मीदवारों की जांच करता है. इसने 80 के शुरुआती पूल में से सिर्फ छह उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने की मंजूरी दी. इसके बाद दो कट्टरपंथी उम्मीदवार बाहर हो गए.

शेष कट्टरपंथियों में प्रमुख हैं संसद के अध्यक्ष और शक्तिशाली रिवोल्यूशनरी गार्ड के पूर्व कमांडर मोहम्मद बागेर गालीबाफ, खामेनेई के कार्यालय में चार साल तक सेवा देने वाले पूर्व परमाणु वार्ताकार सईद जलीली.

एक मात्र तुलनात्मक रूप से उदारवादी, मसूद पेजेशकियन, देश के धर्मतंत्रीय शासन के प्रति वफादार हैं, लेकिन पश्चिम के साथ शांति, आर्थिक सुधार, सामाजिक उदारीकरण और राजनीतिक बहुलवाद की वकालत करते हैं.

पेजेशकियन की संभावनाएं सुधारवादी मतदाताओं पर टिकी हैं जो पिछले चार वर्षों से मतदान से दूर रहे हैं, क्योंकि पिछले राष्ट्रपतियों ने बहुत कम बदलाव किए हैं.

 

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