हिंदी, केरल ,भाषा युद्ध की शुरुआत

चेन्नई। डीएमके (beginning) 1965 से ही हिंदी को थोपने के खिलाफ संघर्ष कर रही है। दूसरी भाषा बोलने वाले हिंदी की तुलना में लोग देश में ज्यादा हैं। भाषा को लेकर केंद्र और तमिलनाडु के बीच हो रहा यह विवाद नया नहीं बल्कि ,तमिलनाडु लंबे समय से दक्षिण राज्यों पर हिंदी थोपे जाने का विरोध(beginning) करता रहा है। वही देश में भोजपुरी करीब 5 करोड़ भारतीयों की मातृभाषा है। दक्षिण भारतीय भाषाओं में सबसे ऊपर तेलुगु है, ये 6.7% आबादी की भाषा है।
देश की बड़ी गैर-हिंदी भाषी आबादी देश में दोयम दर्जे की रह जाएगी। हिंदी को थोपना भारत की अखंडता के खिलाफ है। हमें सभी भाषाओं को केंद्र की आधिकारिक भाषा बनाने का प्रयास करना चाहिए। तमिलनाडु के CM एमके स्टालिन ने कहा हिंदी थोपकर केंद्र सरकार को एक और भाषा युद्ध की शुरुआत नहीं करनी चाहिए। पीएम नरेंद्र मोदी से अपील करते हुए उन्होंने कहा है कि हिंदी को अनिवार्य बनाने के प्रयास छोड़ दिए जाएं और देश की अखंडता को कायम रखा जाए।