दिल्ली

यासीन मलिक(Yasin Malik ) पर फैसला आने से पहले श्रीनगर के बाजारों में पसरा सन्नाटा

नई दिल्ली. कश्मीर के अलगाववादी नेता यासीन मलिक (Yasin Malik )को टेरर फंडिंग केस में सलाखों के पीछे भेज दिया गया है. बुधवार को दिल्ली में NIA की कोर्ट में मलिक को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई. अदालत ने मलिक पर 10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सुरक्षा वजहों के चलते मलिक को तिहाड़ जेल में कोई काम नहीं सौंपा जाएगा. जेल नंबर 7 के अंदर उसे अकेले बंद किया जाएगा. साथ ही इस दौरान वो किसी भी परोल या फरलो के हकदार नहीं होगा. यानी जेल से उसे कोई छुट्टी भी नहीं मिलेगी.

बता दें कि आमतौर पर जेल में दोषियों को अलग-अलग काम दिए जाते हैं. अधिकांश दोषियों को जेल नंबर 2 में ट्रांसफर कर दिया जाता है जहां उन्हें उनके स्किल के आधार पर नौकरी दी जाती है. तिहाड़ जेल के अधिकारियों के हवाले से दावा किया है कि सुरक्षा कारणों से उसे जेल नंबर 7 में अकेला रखा जाएगा. अधिकारियों के अलावा खुफिया ब्यूरो द्वारा मलिक की सुरक्षा की नियमित निगरानी की जाएगी.

कैदियों को मिलती है मजदूरी
अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन को भी तिहाड़ जेल के दूसरे हिस्से में अकेले बंद किया गया है. बुजुर्गों, बीमारों और काम नहीं करने वालों को छोड़कर, हर कैदी जेल परिसर के भीतर अलग-अलग फैक्ट्री में नौकरी पा सकता है. इन कैदियों को उनके द्वारा चुनी गई नौकरियों के लिए पैसे दिए जाते हैं. एक कुशल कर्मचारी एक दिन के काम के लिए ₹308 कमा सकता है. एक अर्ध-कुशल श्रमिक लगभग ₹248 कमा सकता है जबकि एक अकुशल श्रमिक ₹138 प्रतिदिन कमा सकता है.

क्या कहते हैं जेल के नियम?
जेल अधिकारी के मुताबिक अन्य दोषियों की तरह मलिक परोल या फरलो का हकदार नहीं होगा. दरअसल मलिक को आतंकी फंडिंग मामले में दोषी ठहराया गया है. एक अधिकारी ने बताया कि दोषियों को उनकी सजा के तीन साल बाद परोल और फरलो की अनुमति दी जाती है. जेल नियमावली के अनुसार आतंकी मामलों के दोषियों को परोल और फरलो की सुविधा नहीं दी जाती है. वह कम से कम 14 साल जेल में पूरा करने के बाद ही समय से पहले रिहाई के लिए आवेदन कर सकेगा. उसके मामले का फैसला सजा समीक्षा बोर्ड द्वारा किया जाएगा.

जेल से नहीं मिलेगी छुट्टी
रिकॉर्ड बताते हैं कि आतंकी मामलों में शामिल दोषियों को उनकी रिहाई के लिए बोर्ड से आसानी से मंजूरी नहीं मिलती है. हाल ही में 1993 दिल्ली बम विस्फोट मामले के दोषी देविंदर पाल सिंह भुल्लर की रिहाई को बोर्ड ने कम से कम दो बार खारिज कर दिया था. एक अधिकारी ने कहा कि भले ही मलिक आने वाले सालों में कश्मीर की जेल में ट्रांसफऱ के लिए अनुरोध करता है और सरकार उसकी मांग को स्वीकार करती है, फिर भी उसे परोल या समय से पहले रिहाई नहीं दी जाएगी.

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