बच्चों (children)में दिखे ऐसे लक्षण तो हो जाएं अलर्ट
कंजंक्टिवाइटिस या ‘pink eye’ बच्चों में कोविड-19 के मुख्य लक्षणों में से एक के रूप में उभर रहा है. मीडिया रिपोर्टों में विशेषज्ञों का हवाला देते हुए बताया गया है कि भारत उन देशों में शामिल है जहां इस समय कोविड मामलों में काफी उछाल देखा जा रहा है. द टाइम्स ऑफ इंडिया डॉ धीरेन गुप्ता ने बताया कि कंजंक्टिवाइटिस के लिए उपचार ज्यादातर सिम्टोमैटिक होते है. हम माता-पिता को गुनगुने पानी से बच्चों (children) के आंख साफ करने की सलाह देते हैं.
डॉ. गुप्ता का कहना है कि टीनएजर्स में हम शरीर में दर्द और कमजोरी भी देख रहे हैं जो कई दिनों तक बनी रह सकती है. डॉ विपिन एम वशिष्ठ और डॉ पुनीत कुमार के नेतृत्व में किए गए एक अध्ययन के रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रभावित शिशुओं में से 42.8 प्रतिशत में कंजंक्टिवल इन्वॉल्वमेंट मौजूद था.
क्या होता है कंजंक्टिवाइटिस
कंजंक्टिवाइटिस में आंख के कंजाक्तिवा में सूजन या स्वैलिंग होता है. यह टिशू की पतली, पारदर्शी परत है जो आंख के सफेद हिस्से को ढकती है और पलकों के अंदरूनी हिस्से में मौजूद रहती है. नई दिल्ली के लोक नायक अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर डॉ. सुरेश कुमार ने द टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि कंजंक्टिवाइटिस को बच्चों में कोविड संक्रमण की “defining features” में से एक माना जा रहा है.
डॉक्टर का कहना है कि अच्छी बात यह है कि यह रोग सेल्फ-लीमिटिंग है. अधिकांश रोगी, चाहे वह बच्चे हों या वयस्क, बिना किसी स्पेसिफिक दवा के या अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता के बिना अपने आप ठीक हो जाते हैं.
पिंक आई से बचने अपना सकते हैं यह टिप्स:
गर्म पानी को ठंडा कर उससे अपनी आंखों को धोएं, इससे बार-बार हो रही खुजली की समस्या में राहत मिलती है.
अगर पिंक आई की समस्या है तो अपने चेहरे को भी दिन में तीन-चार बार नियमित रूप से धोएं और अपनी नींद को पूरा करें.
कॉन्टैक्ट लेंस को पहनने से बचें.
आंखों को पोछने के लिए हमेशा साफ कपड़े का इस्तेमाल करें.
अपने ब्यूटी प्रोडक्ट्स जैसे- काजल, मस्कारा,आई लैशेस, आई कर्लर को किसी दूसरे से शेयर न करें.
अपने रूम के बेडशीट और तकिए के कवर को हफ्त भर में धोते रहें.
अगर आपकी आंखों की कुछ ज्यादा ही खराब स्थिति हो रही है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.