बल्ला बोलता है: अर्जुन तेंदुलकर (Arjun Tendulkar)

नई दिल्ली. अर्जुन तेंदुलकर(Arjun Tendulkar) ने अपने पिता सचिन तेंदुलकर का वह सपना पूरा कर दिया है, जो अधूरा रह गया था. हो सकता है- यह बात कई लोगों को हजम ना हो, लेकिन यकीन मानिए इस बात में उतनी ही सच्चाई है जितनी इसमें कि सचिन तेंदुलकर दुनिया के एकमात्र क्रिकेटर हैं, जिनके नाम 100 इंटरनेशनल शतक दर्ज हैं.
सचिन के इस अधूरे सपने पर बात करने से पहले हम आपको बता दें कि अर्जुन तेंदुलकर ने एक दिन पहले ही रणजी ट्रॉफी में डेब्यू किया है. 23 साल के अर्जुन तेंदुलकर ने अपने पिता की ही तरह अपने डेब्यू मैच में ही शतक ठोक दिया. अर्जुन ने गोवा की ओर से खेलते हुए यह उपलब्धि अपने नाम की. और मुझे नहीं लगता कि क्रिकेटफैंस को यह बताने की जरूरत है कि सचिन तेंदुलकर ने 1988 में रणजी ट्रॉफी के अपने डेब्यू मैच में ही शतक जमाया था. अर्जुन ने गोवा की ओर से राजस्थान के खिलाफ 120 रन की पारी खेली. जबकि सचिन ने गुजरात के खिलाफ नाबाद 100 रन बनाए थे. अर्जुन ने 207 गेंद का सामना किया. 16 चौके और 2 छक्के लगाए.
यह मानने में शायद ही किसी को गुरेज हो कि जब खिलाड़ी या अभिनेता का बेटा डेब्यू करता है तो पिता से उसकी तुलना होती ही है. क्रिकेट की दुनिया में भी यह आम बात है. यही कारण है कि अर्जुन जब पहली बार क्रिकेट के मैदान पर उतरे, तब से ही उनकी तुलना सचिन से हो रही है.
अगर हम सचिन और अर्जुन तेंदुलकर की तुलना पर फोकस करेंगे तो बात दूर चली जाएगी. इसलिए मैं वापस उस बात पर आता हूं जो मैंने शुरू में ही कही थी. यह बात सचिन का अधूरा सपना पूरा होने का है.
दरअसल, सचिन ने जब क्रिकेट की शुरुआत की, तो उनका ख्वाब तेज गेंदबाज बनने का था. सचिन यह ख्वाब लिए चेन्नई के एमआरएफ पेस एकेडमी भी पहुंचे, लेकिन इससे आगे नहीं बढ़ पाए. तब पेस एकेडमी में मुख्य कोच की भूमिका निभा रहे ऑस्ट्रेलिया के डेनिस लिली ने सचिन को साफ कह दिया कि वे तेज गेंदबाज नहीं बन सकते. सचिन लौटे जरूर, लेकिन निराश नहीं
और आज अर्जुन तेंदुलकर ने रणजी ट्रॉफी में जब एंट्री की है तो उनके नाम के सामने ऑलराउंडर लिखा हुआ है. ऐसा ऑलराउंडर, जो शतक भी लगाता है और अपनी तेज गेंदबाजी से बैटर्स को डराता भी है. सचिन तेंदुलकर भले ही तेज गेंदबाज ना बन सके हों, लेकिन अर्जुन ने उनका यह ख्वाब पूरा कर दिया है.