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बलवंत सिंह (Balwant Singh)राजोआना 12 साल से मांग रहा दया की ‘भीख’

नई दिल्ली: पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के मामले में फांसी की सजा पाए बलवंत सिंह (Balwant Singh) राजोआना की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट आज सुनाएगा फैसला. जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस विक्रम नाथ व जस्टिस संजय करोल की बेंच फैसला सुनाएगी. राजोआना ने सुप्रीम कोर्ट से अपनी फांसी की सजा को उम्रकैद में बदलने की गुहार लगाई है. उसने अपनी अर्जी में कहा है कि उसकी दया याचिका 2012 से लंबित है. केंद्र सरकार उसकी याचिका पर लंबे समय तक फैसला नहीं ले पाई है. वह 27 साल से जेल में है. यह उसके मौलिक अधिकारों का भी उल्लंघन है.

बलवंत सिंह राजोआना ने अपनी याचिका में सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि अगर उसकी दया याचिका पर फैसला नहीं होता है, तो विकल्प के रूप में तब तक उसे पैरोल पर छोड़ा जा सकता है. आपको बता दें कि राजोआना को 1995 में पंजाब के पूर्व सीएम बेअंत सिंह की हत्या के लिए अदालत से दोषी ठहराया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने याचिका का संज्ञान लेते हुए बीते दिनों कहा था कि अगर 30 अप्रैल 2023 तक कोई फैसला नहीं लिया जाता है, तो गृह मंत्रालय के सचिव और सीबीआई (अभियोजन) के निदेशक सुनवाई की अगली तारीख पर रिकॉर्ड के साथ व्यक्तिगत रूप से अदालत के सामने पेश होंगे.

सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा था कि अदालत के पहले के आदेश के बावजूद इस मामले में अब तक कुछ नहीं किया गया है और केंद्र की ओर से पेश होने वाले वकील को कोई स्पष्ट निर्देश नहीं है. केंद्र से समय के अनुरोध के संबंध में अदालत की तरफ से पारित पिछले आदेशों का उल्लेख करते हुए पीठ ने कहा था कि इन परिस्थितियों में सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि केंद्र सरकार और सीबीआई सहित अन्य प्राधिकरणों की तरफ से आवेदन पर तुरंत विचार किया जाएगा. सीबीआई की तरफ से मौत की सजा को कम करने के लिए अनुरोध या प्रस्ताव या आपत्ति 2 सप्ताह के भीतर दायर की जाएगी.

सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने मामले की अगली सुनवाई 3 मई तक टाल दी थी. वर्ष 1995 में पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के मामले में बलवंत सिंह राजोआना और अन्य सह-अभियुक्तों पर आईपीसी की धाराओं और विस्फोटक सामग्री अधिनियम की धाराओं के तहत मुकदमा चलाया गया था. इन अपराधों के तहत आरोप साबित होने के बाद निचली अदालत ने बलवंत सिंह राजोआना और सह आरोपी जगतार सिंह हवारा को मौत की सजा सुनाई थी. अदालत ने राजोआना को पंजाब सचिवालय के बाहर बम विस्फोट में शामिल होने का दोषी ठहराया था.

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