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बालकृष्ण ने बहादुरी का परिचय देते हुए आतंकियों ( terrorists)पर जवाबी फायरिंग की

जम्मू. जम्मू कश्मीर के राजौरी में दो दिनों में रविवार और सोमवार को दो बड़े आतंकी हमले ? हुए. इन हमलों में जहां 6 हिंदुओं की मौत हो गई, वहीं 10 से ज्यादा लोग घायल हो गए. इन हमलों के बीच 42 साल के बालकृष्ण अपनी बहादुरी के कारण सुर्खियों में आ गए हैं. दरअसल जब रविवार की शाम आतंकी तीन घरों में मौत का खेल खेलकर चौथे घर में रह रहे लोगों को निशाना बनाने के लिए आगे बढ़ रहे थे, तभी बालकृष्ण बाहर निकले और अपनी बहादुरी का परिचय देते हुए आतंकियों ( terrorists) पर फायरिंग शुरू कर दी. अचानक जवाबी फायरिंग देख आतंकी दुम दबाकर भाग खड़े हुए.

राजौरी के डांगरी गांव के चौक पर बालकृष्ण की कपड़े की दुकान है. वह इस घटना के बारे में बताते हुए कहते हैं, ‘मैंने अपनी राइफल उठाई और बाहर निकल गया. मैंने दो आतंकियों को पड़ोस में घूमते देखा. वे मेरे घर के बेहद करीब थे. मैंने दो राउंड फायरिंग की और आतंकी घबरा गए और पास के जंगलों में भाग गए.’

बालकृष्ण की बहादुरी को लेकर पुलिस और ऊपरी डांगरी पंचायत के सरपंच दर्शन शर्मा का कहना है कि अगर बालकृष्ण ने बहादुरी के साथ त्वरित जवाबी फायरिंग नहीं की होती तो मौत और घायलों की संख्या कहीं अधिक होती. दर्शन शर्मा ने आगे कहा कि ‘बालकृष्ण द्वारा फायरिंग शुरू करने के बाद, आतंकी जंगलों में भाग गए. इसके बाद ग्रामीणों को अपने घरों से बाहर निकलने की हिम्मत मिली और घायलों को मदद मिल सकी.’
यह केवल दूसरी बार था जब बालकृष्ण अपनी बंदूक का इस्तेमाल कर रहे थे. पहली बार उन्होंने साल 1998-99 में सेना द्वारा आयोजित एक ट्रेनिंग कैंप में बंदूक चलाई थी. इस कैंप में उन्हें बंदूक चलाने की ट्रेनिंग दी गई थी. ट्रेनिंग कैंप के बारे में बात करते हुए बालकृष्ण कहते हैं, ‘ट्रेनिंग कर रहे प्रत्येक लोगों को 100 राउंड कारतूस दिए गए थे. हमने सेना के ट्रेनिंग कैंप में 10 गोलियों का इस्तेमाल किया और 90 गोलियां बची रह गईं.’

 

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