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बाबर Babur’की बेटी बनी कश्मीर के राजपूत राजा की रानी

मुगल काल की चर्चा किए बगैर हमारा इतिहास पूरा नहीं हो सकता. इसके लिए हम आपको आज से 497 साल पहले अप्रैल माह की 21 तारीख की एक घटना की ओर ले चलते हैं. उस अप्रैल की गर्म दोपहरी में आज की दिल्ली से कुछ सौ किमी की दूरी पर एक जंग लड़ी जाती है. उस जंग को हम सब पानीपत का प्रथम युद्ध के तौर पर जानते हैं. इस जंग में जिस एक पक्ष की जीत होती है, वह अगले कई सौ सालों तक भारत के इतिहास पर छा जाता है. उसकी इस एक जीत से उसके वंशजों को इस देश पर 300 से अधिक सालों तक राज करने का मौका मिल जाता है. इन 300 सालों में इस वंश ने भारत की संस्कृति से लेकर सामाजिक ताने-बाने, हर चीज को प्रभावित किया. इतना ही नहीं, इस वंश के शासन को खत्म करने वाला ब्रिटिश साम्राज का भी अंत हो गया, लेकिन इस काल खंड की हर एक छोटी चीज इतिहास के पन्नों में खास जगह बनाती रही है. आज करीब 500 साल बाद भी इस मसले हम आपसे बातें कर रहे हैं.

दरअसल, 21 अप्रैल 1526 को पानीपत की पहली लड़ाई में बाबर, इब्राहिम लोदी की सेना को हराकर मुगल वंश के शासन की नींव रखता है. बाबर खुद को दिल्ली सल्तनत का शाहंशाह घोषित करता है. उसके बाद उसके बेटे हुमायूं और फिर अकबर का शासन स्थापित होता है. हालांकि बाबर और हुमायूं के शासन काल के बीच कुछ समय के लिए मुगल वंश सत्ता से बेदखल रहता है और शेर शाह सूरी शासक बनता है. लेकिन, फिर हुमायूं वापसी करता है और अकबर के नेतृत्व में मुगल शासन का विस्तार होता है. फिर यह जहांगीर, शाहजहां, औरंगजेब होते हुए 1857 में बहादुरशाह द्वितीय के शासनकाल में मुगल वंश का अंत हो जाता है.

लेकिन, इन सभी शासकों में अकबर सबसे प्रसिद्ध होता है. वह एक हिंदू राजकुमारी से शादी करता है. इसकी चर्चा इतिहास में खूब की जाती है. यहां तक कहा जाता है कि अकबर ने अपने शासनकाल में हिंदू-मुस्लिम एकता की एक मजबूत नींव रखी और इसी मजबूती की वजह से मुगल वंश इतना प्रभावी रहा. जो भी हो, हम आज इतिहास के पन्ने नहीं पलट रहे हैं. हम यहां आपको एक तथ्य से अवगत कराने की कोशिश कर रहे हैं.

यहां पर एक सवाल है कि जब अकबर ने हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल पेश की और हिंदू राजकुमारी जोधा बाई से शादी कर उन्हें अपनी प्रमुख बेगम का दर्जा दिया, तो क्या उस वक्त हिंदू-मुस्लिम समुदाय के लोगों के बीच शादी-विवाह एकतरफा था या फिर दोनों धर्मों के लोग एक दूसरे धर्म की राजकुमारियों से शादी करते थे? सवाल गंभीर है क्योंकि अब तक अधिकतर इतिहास में राजपुत राजकुमारियों से मुगल बादशाहों की शादी की चर्चा सुनी गई है. लेकिन, हमने मुगल राजकुमारियों से हिंदू राजाओं की शादी को लेकर काफी सर्च किया. इंटरनेट पर इन सवालों के कोई पुख्ता जवाब नहीं मिले. लेकिन, क्वेरा वेबसाइट पर तमाम जानकार इसका जवाब दे रहे हैं.

मान सिंह ने की अकबर की भतीजी से शादी
अकबर के सेनापति रहे मानसिंह ने मुबारक बेगम से शादी रचाई थी. मुबारक के बारे में कहा गया है कि वह अदम खान की बेटी थी. रितेश सिंह ने खुद को हिस्ट्री एक्सप्लोरर बताया है.हैदराबाद के निजाम की बेटी रुहानी बेगम से छत्रसाल बुंदेला ने शादी की थी. मान सिंह के बेटे जगत सिंह ने कुतुब खान की बेटी मरियम से शादी रचाई थी.

कश्मीर की रानी बनीं बाबर की बिटिया
लग वंश के संस्थापक बाबर ()Babur’ ने अपनी बेटी की शादी उस वक्त कश्मीर के राजपूत राजा धरमचंद कटोच से की थी. इसी तरह सुल्तान गजनी ने अपनी बेटी की शादी बप्पा रावल से की थी. बप्पा रावल ने मध्य एशिया में अपने साम्राज्य का विस्तार किया था. राजा गज सिंह मारवाड़ ने अनारा बाई से शादी रचाई थी. वह दिल्ली के सुल्तान की विधवा थीं. राणा उदय सिंह ने बेगम लाला बाई से शादी रचाई थी. इस तरह यह लिस्ट बहुत लंबी है.

सत्ता पर पकड़ के लिए रचाई जाती थी ऐसी शादियां
इतिहास में इन चीजों को कम करके पेश किया गया है. एक अन्य यूजर्स शाहिद ए. अब्बासी लिखते हैं कि संभ्रांत लोगों में इस तरह की शादियां आम थी. शाहिद खुद को पुड्डुचेरी यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर बताते हैं. उनका कहना है कि इन तमाम नामों के साथ एक और नाम जोड़ा जा सकता है. वह नाम है महाराणा प्रताप. महाराणा प्रताप की 11 रानियों में से एक मुस्लिम थीं. और इस कारण उस रानी के बेटे ने चितौड़ की लड़ाई में अकबर की सेना के खिलाफ लड़ा था. उस वक्त अकबर के सेना का नेतृत्व राजा मान सिंह कर रहे थे.