देशभर के 175 कलाकारों की अद्भुत प्रदर्शनी, हजारों दर्शकों की सराहना से कलाकारों की हुई हौसला अफजाई

नई दिल्ली -: ( 27 जुलाई ) -: भारत मंडपम के हॉल नंबर 12 में आयोजित दि हाट ऑफ आर्ट के चौथे संस्करण का भव्य समापन हुआ जिसमें प्रसिद्ध सिने कलाकार विंदु दारा सिंह ने प्रदर्शनी में भाग लेने वाले सभी कलाकारों को प्रमाण पत्र दिया । यह तीन दिवसीय कला महोत्सव भारतीय कला और कलाकारों की विविधता एवं जीवंतता का उत्सव बन गया। 10,500 से अधिक दर्शकों की जबरदस्त उपस्थिति—जिसमें कला प्रेमी, विशिष्ट अतिथि, सरकारी अधिकारी और आम नागरिक शामिल थे—ने इस संस्करण को अब तक के सबसे सफल आयोजनों में से एक बना दिया।
उद्घाटन समारोह की शोभा बढ़ाई महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की राज्य मंत्री श्रीमती सवित्री ठाकुर जी ने। उनके साथ मंच पर उपस्थित रहीं बिहार की प्रसिद्ध लोक गायिका और गंगा स्वच्छता मिशन की ब्रांड एंबेसडर नीतू कुमारी नवगीत, दि हाट ऑफ आर्ट के निदेशक अनीश खान, आदिवासी कला की संरक्षक डॉ. सीमा आलावा और देशभर से आए 200 से अधिक उभरते एवं ख्यातिप्राप्त कलाकार। यह आयोजन कला, संस्कृति और समुदाय की समरसता का सजीव उदाहरण बन गया। दूसरे दिन का कार्यक्रम और भी भव्य रहा। राज्य मंत्री श्री राम नाथ ठाकुर , प्रसिद्ध अभिनेता एवं मंच के मार्गदर्शक विंदु दारा सिंह, पद्मश्री पुरस्कार विजेता सुदर्शन पटनायक जी और मिथिला पेंटिंग की प्रसिद्ध कलाकार पद्मश्री बऊआ देवी, भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला सहित कई गणमान्य अतिथियों की उपस्थिति ने कलाकारों के उत्साह को नई ऊंचाइयों तक पहुँचाया।
एक छोटे से प्रयास के रूप में शुरू हुआ दि हाट ऑफ आर्ट, आज एक राष्ट्रीय आंदोलन बन चुका है। यह इसका 10वां सफल संस्करण था, जिसने मुंबई, बेंगलुरु और इंदौर जैसे शहरों में अपनी छाप छोड़ने के बाद दिल्ली में अपनी सबसे भव्य प्रस्तुति दी। दि हाट ऑफ आर्ट केवल एक प्रदर्शनी नहीं, बल्कि भारत की रचनात्मक आत्मा का उत्सव है। यह मंच देश के हर कोने से जन्मजात प्रतिभाओं और स्व-प्रशिक्षित कलाकारों को एक पहचान और अवसर देता है—प्रेरणा, प्रोत्साहन और उन्नति के द्वार खोलता है। दर्शकों और विशिष्ट अतिथियों की सराहना से प्रेरित होकर, आगामी संस्करणों को लेकर उम्मीदें पहले से ही ऊँचाई पर हैं। अगर दिल्ली की प्रतिक्रिया मापदंड है, तो दि हाट ऑफ आर्ट निकट भविष्य में भारत के सबसे प्रतिष्ठित सांस्कृतिक आयोजनों में से एक बनने जा रहा है—वास्तव में सीमाओं से परे कला का उत्सव।