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ASI ने ये बताई वजह, काली पड़ रही है ताज में शाहजहां-मुमताज की असली कब्र

आगरा. ताज महल में जमीन के अंदर बनी कब्र और तहखाने वाला कमरा काला पड़ रहा है। बाहर से ताज की सफेदी बरकरार रखने के लिए मडपैक ट्रीटमेंट किया जा रहा है, लेकिन असली कब्र की हालत बहुत बुरी है। शाहजहां के उर्स के दौरान तीन दिन के लिए खोले गए तहखाने के समय यह हकीकत सामने आई। बता दें कि 3 मई से शुरू हुआ उर्स 5 मई तक चलेगा। इस दौरान टूरिस्ट्स शाहजहां और मुमताज की असली कब्र भी देख सकते हैं।पूरे साल बंद रहती हैं असली कब्रें…
– ताज महल में आम टूरिस्ट्स को जो कब्र दिखती है, वह नकली है। जबकि असली कब्र तहखाने के अंदर है।
– इस जगह पर जाने के लिए 24 सीढ़‍ियां उतरनी होती हैं। यहां आने के बाद तहखाने में रुकना मुश्किल हो रहा है। नमी की वजह से यहां घुटन महसूस हो रही है।
– पूरे साल कब्र बंद रहने की वजह से संगमरमर की दीवारें काली हो रही हैं। कब्रों का रंग पीला हो गया है और इसके काफी हिस्‍से काले हो गए हैं।
– बेहद ज्‍यादा नमी की वजह से दीवार का संगमरमर खुरदुरा हो गया है और कुछ हिस्‍से गिरने लगे हैं।
– दीवार की तुलना में तहखाने की छत की हालत ज्‍यादा खराब है। छत के संगमरमर का बड़ा हिस्‍सा बेहद पीला और काला हो चुका है। कई जगह दरार भी पड़ गई है।
– वहीं, तहखाने की छत पर लगे लैंप का एक कांच भी टूटा हुआ है।
– तहखाने की सीढ़ी के ऊपर आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) ने लकड़ी के कवर लगा दिए हैं।
– इसकी वजह से सीढ़‍ियों की सफाई बंद हो गई है।
ASI ने भी माना- काली पड़ रही है कब्र
– ASI के आगरा सर्किल के सुपरिटेंडेंट आर्कियोलॉजिस्ट भुवन विक्रम ने बताया कि ताज के तहखाने और असली कब्र पर काले रंग का दाग लग रहा है।
– साल में सिर्फ तीन दिन खुलने की वजह से यहां धूल जमती रहती है। इससे संगमरमर पर पीलापन आ जाता है।
– इसके अलावा यहां नमी ज्‍यादा है, इससे ऑर्गेनिक ग्रोथ होता है। काई लगने और अन्‍य आर्गेनिक वजहों से कब्र और दीवारों पर काले धब्‍बे (स्‍पॉट) हो रहे हैं।
– ताज में लगातार कन्जर्वेशन का काम चल रहा है। अभी मीनारों का मडपैक ट्रीटमेंट हो रहा है।
– सिर्फ दो मीनार की गंदगी साफ करने में 8 महीने लग गए हैं।
– अगर एक साथ ताज महल के सभी हिस्‍से का मडपैक ट्रीटमेंट किया गया तो हर तरफ बल्लियां ही दिखेंगी।
– तहखाने के संगमरमर को पूरी तरह साफ करने में दो साल का समय लग जाएगा।
– वहीं, आर्कियोलॉजिकल एक्सपर्ट हरदयाल उपाध्‍याय का कहना है, ताज के नक्‍शे के अनुसार तहखाने के रास्‍ते को खुला रखा गया था। लेकिन सालभर बंद रखने की वजह से वेंटिलेशन नहीं हो पा रहा है। ऐसे में इसका खराब होना जायज है।
फर्स्ट फ्रीडम स्ट्रगल में तहखाने को पहुंचा था नुकसान
– हिस्टोरियन राजकिशोर राजे के अनुसार, तहखाने को पहले फ्रीडम स्ट्रगल के दौरान कुछ नुकसान पहुंचा था।
– 1864 में नाॅर्थ वेस्टर्न प्रोविंस के इंस्पेक्टर जनरल हॉस्पिटल्स डॉ. मुरे ने उस समय ताज के तहखाने की हालत पर रिपोर्ट दी थी।
– इसमें कहा गया था कि मुख्य कब्रों के वर्क को जो नुकसान पहुंचा था, उसे ठीक कराया जा चुका है।
– 1978 में कब्रों की नॉर्थ-वेस्ट वॉल पर पानी से खराब हुए संगमरमर को निकाल कर नए टुकड़े लगाए गए हैं।
– बाद में 1899-1900 में शाहजहां की असली कब्र के ऊपरी हिस्से को पहुंचे नुकसान को ठीक किया गया।
– ब्रज मंडल हेरिटेज कन्जर्वेटिव सोसाइटी के प्रेसिडेंट सुरेंद्र शर्मा का कहना है, ताज के तहखाने के लिए बेहतर होगा कि इसे सालभर खोले रखा जाए। इससे ताजा हवा अंदर जाती रहेगी और नमी कम होगी।

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