चीन के आक्रामक रवैये को देखते हुए अमेरिका ने दी ताइवान को सैन्य मदद
वॉशिंगटन । अमेरिका, ताइवान (military aid to taiwan) को करीब 1.1 अरब डॉलर, यानी 8,768 करोड़ रुपए के हथियार देगा। इन हथियारों में 60 हारपून एंटी-शिप मिसाइल, साइडविंडर मिसाइल, रडार वॉर्निंग सिस्टम और 100 एयर-टु-एयर मिसाइलें शामिल हैं। अमेरिका ने इस पैकेज की घोषणा नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा (military aid to taiwan) के बाद की थी। इसका असर ये हुआ कि चीन ने ताइवान के हवाई और जलीय क्षेत्र में अपनी घुसपैठ तेज कर दी।
चीन के पास अब दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना है और अमेरिका वहां सीमित जहाज ही भेज सकता है। इसी बीच अमेरिका चीन को पछाड़ने के लिए रणनीति पर काम कर रहा है। वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका अपने सहयोगी देशों को तेजी से हथियार सप्लाई करेगा।दूतावास के प्रवक्ता लियू पेंग्यु ने कहा- इस डील से वॉशिंगटन और बीजिंग के संबंध खतरे में आ जाएंगे।
चीन इसके खिलाफ जवाबी कदम उठाएगा। ऐसा करके अमेरिकी सरकार चीन के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप कर रही है। 2 अगस्त को अमेरिकी संसद की स्पीकर नैंसी पेलोसी ताइवान पहुंची थीं। इसके बाद से ही चीनी सेना ताइवान के बिल्कुल नजदीक मिलिट्री एक्सरसाइज कर रही है। ताइवान पर चीन के आक्रामक रवैये को देखते हुए अमेरिका ने सैन्य मदद दी है।
इधर, चीन की सरकार US के इस फैसले से गुस्से में आ गई है। चीन ने अंजाम भुगतने की धमकी दी है। वॉशिंगटन में चीनी दूतावास ने अमेरिका से इस डील को कैंसल करने के लिए कहा है। राष्ट्रपति जो बाइडेन फिलहाल, इस पॉलिसी से बाहर जाते दिख रहे हैं। उन्होंने कई मौकों पर कहा है कि अगर ताइवान पर चीन हमला करता है तो अमेरिका उसके बचाव में उतरेगा। बाइडेन ने हथियारों की बिक्री जारी रखते हुए अमेरिकी अधिकारियों का ताइवान से मेल-जोल बढ़ा दिया।