उत्तराखंड

गजब की हाजमां शक्ति है हरिव्दार के ठंडे बस्ते में

स. सम्पादक शिवाकान्त पाठक

किसी भी अधिकारी या कर्मचारियों को आप कोई शिकायत करें वह अपने आप ठंडे बस्ते में पहुंच जायेगी फिर युगों युगों तक वह विलुप्त ही रहेगी यानि हजम हो जायेगी यही हाल है हरिद्वार का यहाँ ठंडे बस्ते ने ना जाने कितनी घटनाएं समस्यायें निगल लीं और हाजमां शक्ति भी अजीब है कई बार तो सूचना मांगने वालों को हताशा ही हांथ लगती है जबाब ही नहीं मिलता साथ ही ऐक ही खसरा नम्बर की ऐक ही दिन में दो लोगो के नाम रजिष्र्टी होना क्या आश्चर्यजनक किंतु सत्य नहीं है यहाँ सब कुछ जायज है रजिष्टार, व अन्य जिम्मेदार अधिकारी क्या करें बेचारे वे भी तो इंसान हैं कहां तक देखें हर आदमी धोखाधड़ी करने पर तुला हुआ है!

नाम ही है इसका ठंडा बस्ता। सरकार को ये बस्ता बड़ा प्रिय है। स्कूली बच्चे तो अपना बस्ता खोलकर रोजाना पढ़ाई करते हैं, पर सरकार के ठंडे बस्ते में गई चीजें इतिहास बनकर ही बाहर निकलती हैं। ठंडे बस्ते में जो कुछ भी जाता है बस फ्रीज हो जाता है, तभी तो ये है ठंडा बस्ता। इस ठंडे बस्ते ने न जाने क्या-क्या पचा लिया है। बस्तों में घुसकर बड़े-बड़े मुद्दों का कीमा निकल जाता है। उठते गर्म शोलों को ठंडे बस्ते में जज्ब करने का हुनर सभी सफेदपोश जानते हैं। कहां से शुरू करें। बाबरी मस्जिद विघ्वंस की बात करें या बोफोर्स सौदा। ठंडे बस्ते ने इतने कमीशन की रिपोर्टों और सरकारी योजनाओं को पचाया है कि चंद वाक्यों के इस लेख में उनका नाम भी नहीं लिखा जा सकता। अकेले ठंडे बस्ते की रिपोर्टों को ही प्रकाशित करने के लिए सालों किसी समाचार पत्र का प्रकाशन करना पड़ेगा। सरकार के पास ठंडा बस्ता के रूप में गजब की कचरा पेटी है। तेलंगाना मुद्दा..मुंबई हमले पर कार्रवाई..सिख दंगा..बंबई दंगो पर श्रीकृष्णा कमेटी की रिपोर्ट..नयों में शशि थरूर और मोदी विवाद..ठंडे बस्ते में। आइपीएल घोटाला विवाद..ठंडे बस्ते में। कहां तक गिनाएं।

अब जातिगत जनगणना के मुद्दे को भी सरकार ठंडे बस्ते में डालने का मन बना रही है। वैसे आइडिया मस्त है, जिन पर विवाद हो और फंस रहे हों उनके अपने..जिस मुद्दे पर सरकार फंस रही हो, फालूदा निकल रहा हो, उसे भी डाल दो ठंडे बस्ते में। इस बस्ते की एक खास बात और है। सरकारें भले बदल जाएं, पर ठंडे बस्ते का आकार-विचार वही रहता है। अब अगर कोई इस ठंडे बस्ते पर ही सवाल उठाए तो क्या करेगी सरकार। कोई नया ठंडा बस्ता ढूंढ़ेगी। बेचारी जनता आज तक नहीं समझ पाई कि ये ठंडा बस्ता आखिर रखा कहां जाता है। ठंडे बस्ते के मंत्रालय का मंत्री कौन है। शायद उससे फरियाद करने पर ही कोई हल निकल सके। जो भी हो इस इंडे बस्ते की माया ने सब को भरमा रखा है। मैं तो पहले संपादक जी को धन्यवाद दे दूं कि उन्होंने मेरे लेख को ठंडे बस्ते के हवाले नहीं किया।

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