अखिलेश यादव का भाजपा पर तीखा वार: “घुसपैठिया राजनीति से यूपी को अस्थिर करने की साजिश, पीडीए समाज अब अपमान के खिलाफ आवाज़ बना” !
लखनऊ -: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भाजपा पर बड़ा हमला बोलते हुए कहा है कि उत्तर प्रदेश में “घुसपैठिया राजनीति” के जरिए सामाजिक समरसता को तोड़ने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा अपने ‘प्लांटेड लोगों’ के माध्यम से बाहर से लोगों को प्रदेश में भेजकर समाज को बांटने की साजिश रच रही है, लेकिन उत्तर प्रदेश की जनता इन चालों को भलीभांति पहचानती है।लखनऊ में आयोजित संवाद के दौरान अखिलेश यादव ने कहा, “आज क्या उत्तर प्रदेश में कोई ऐसा भाजपाई नहीं बचा, जिस पर दिल्ली को भरोसा हो? शायद इसी कारण बाहर से लोगों को लाकर यहाँ नई सियासी बिसात बिछाई जा रही है। यह लखनऊवासियों के लिए सीधी चुनौती है।” उन्होंने सवाल उठाया कि अगर प्रदेश की सीमाएं अब बाहरी अराजक तत्वों के लिए खुली हैं, तो क्या प्रदेश सरकार खुद उनकी एंट्री को समर्थन दे रही है ?
उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर इन बाहरी अराजकतावादियों पर कार्रवाई नहीं की गई, तो आने वाले दिनों में और लोग उत्तर प्रदेश की शांति को भंग करेंगे और जनता समझ जाएगी कि भाजपा सरकार अब सिर्फ कागज़ों पर है। “न नेतृत्व बचा है, न कानून व्यवस्था और न ही प्रदेश में शांति की कोई प्रतिबद्धता।”इटावा कथावाचन के दौरान एक कलाकार से ढोलक छीने जाने की घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए अखिलेश यादव ने कहा, “कुछ वर्चस्ववादी लोगों ने उस कलाकार को भी नहीं छोड़ा जो अपनी थाप से दुनिया को देखता है। ढोलक छीनना न सिर्फ एक कलाकार का अपमान है, बल्कि पूरी पीडीए सोच को नीचा दिखाने की साजिश है।”उन्होंने कहा कि पीडीए अब केवल एक नारा नहीं, बल्कि उत्पीड़न और अपमान के खिलाफ सामाजिक चेतना का नया आंदोलन बन चुका है। “पीडीए ‘पीड़ा, दुख और अपमान’ की त्रासदी से जूझते लोगों की एकजुटता है। यह प्रतिशोध नहीं, बल्कि सोच में बदलाव की पुकार है। यह आंदोलन अब समानता, गरिमा और सामाजिक न्याय के राज का संकल्प बन चुका है।” अखिलेश यादव ने साफ किया कि समाजवादी पार्टी का संघर्ष अब सिर्फ सत्ता परिवर्तन तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि एक समतामूलक और मानवीय समाज के निर्माण तक जारी रहेगा।