आखिर असम ( Assam)में क्यों आती है हर साथ भीषण बाढ़

असम-मानसून आने के बाद देश के कई हिस्सों में बाढ़ आती ही है. इसमें असम ( Assam) एक प्रमुख राज्य है. यहां हर साल मानसून की भारी बारिश होती है. यहां देश में सबसे ज्यादा मानसूनी बारिश होने वाले इलाके भी हैं. इस साल मानसून की पहली दस्तक असम में पहुंच चुकी है और प्रदेश के 18 जिले बाढ़ की चपेट में आ चुके हैं और बाढ़ से 30 हजार से ज्यादा लोग प्रभावित हो चुके हैं. लेकिन आखिर ऐसा क्या है जो हर साल असम में भारी बारिश के साथ बाढ़ आती है. क्या इसके पीछे मानसून है या फिर यहां की भौगोलिक स्थिति. आखिर असम में हर साल में बाढ़ के आगे बेबस से क्यों नजर आते हैं.
बाढ़ एक आम बात
यह सिर्फ शुरुआत है क्योंकि भारतीय मौसम विभाग ने आने वाले समय में तेज बारिश और तूफान का पूर्वानुमान लगाया है और 22 जून को प्रदेश ऑरेंज अलर्ट पर है. किसी भी अन्य प्रदेश के लिए यह बहुत ही असमान्य बात होती है और होनी भी चाहिए लेकिन असम के लिए यह नया नहीं है. प्रदेश में हर साल बाढ़ की वजह से प्रदेश के लाखों लोग प्रभावित होते हैं.
भारी नकुसान उठाना पड़ता है
और तो और एक राजकीय रिपोर्ट के मुताबिक इसकी वजह से सालाना प्रदेश को करीब 200 करोड़ का नुकसान भी उठाना पड़ता है. फिर भी यहां काजींरगा और मानस राष्ट्रीय उद्यान जैसे वैश्विक स्तर क धरोहर हैं और ये भी हर साल बाढ़ से बुरी तरह से प्रभावित होते हैं. यहां मौजूद कुछ वन्यजीव अभ्यारण में तो दुनिया की सबसे ज्यादा गैंडों की जनसंख्या है जहा के 90 फीसद इलाके 2020 की बाढ़ की चपेट में आ गए थे.
बार बार क्यों
एक बड़ा सवाल है कि ऐसा बार बार क्यों होता है. क्या इसे रोका नहीं जा सकता है क्या कोई ऐसा तरीका नहीं है कि अनुमान होने पर भी प्रदेश को 200 करोड़ का नुकसान रोका या कम नहीं किया जा सकता है. ऐसा क्यों है कि हम इस वीभिषिका को झेलने के लिए एक तरह से अभिशप्त से लगते हैं. असम में 31 लाख हेक्टयर का इलाका बाढ़ से प्रभावित होता है जो कि प्रदेश का 39 फीसद हिस्सा है.
ब्रह्मपुत्र और उसकी सहयाक नदियां
यहां गौर करने वाली बात यह है कि असम का बाढ़ प्रभावित हिस्सा भारत के कुल बाढ़ प्रभावित हिस्सों का दस फीसदी हिस्सा है. इस समस्या की प्रमुख वजह प्रदेश की भौगोलिक स्थिति और प्राकृतिक भूभाग में है. असम की प्रमुख नद ब्रह्मपुत्र नदी को प्रदेश की 50 सहायक नदीयां पानी देती हैं जिससे यह बहुत ही खतरनाक रूप ले लेती है.
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भारी मात्रा में पानी और अवसाद
लेकिन बाढ़ की समस्या के लिए असम और उसके आसपासके साथ यहां की जलवायु जिम्मेदार है. 2006 में पर्यावरणविद और गुवाहाटी यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर दुलाल चंद्र गोस्वामी के शोधपत्र में बताया गया है की ब्रह्मपुत्र नदी अमेजन के बाद दुनिया की दूसरी ऐसी नदी है जो अपने साथ सबसे ज्यादा पानी और अवसाद बहा कर लाती है जिससे निचले इलाके बाढ़ की चपेट में आ जाते हैं.
आसपास के पहाड़ और मानसूनी बारिश
असम के आसपास का इलाका भी यहां बाढ़ के लिए मददगार होता है. अरुणाचल प्रदेश और मेघालय के पहाड़ों से होकर यह नदी नीचे की ओर बहती है. इन दोनों राज्यों में मानसून में भारी वर्षा होती है क्योंकि यहां के पहाड़ दक्षिण की ओर और बंगाल की खाड़ी से बारिश के बादल आते हैं. असम ऐसे चमर मौसमी घटनाओं को झेलने की स्थिति में नहीं होता है और नतीजा बाढ़ आती है. वहीं पश्चिम असम में भूटान की वजह से यहां पानी बाढ़ के हालात बना देता है.
यहां का निचला इलाका कृषि के बहुत ही अनुकूल क्षेत्र है जिससे यहां ग्रामीण इलाका खासा फैला हुआ है इससे यहां बाढ़ के कारण ग्रामीण अर्थव्यवस्था सबसे ज्यादा प्रभावित होती है. यहां किए गए उपायों में सबसे ज्यादा अस्थायी बंध बनाना शामिल हैं जिससे बाढ़ का फैलाव ज्यादा इलाकों में ना हो, लेकिन यह बहुत ज्यादा प्रभावी साबित नहीं हुए हैं. जरूरत यहां एक व्यापाक और पूरे ही इलाके को शामिल कर एक एकीकृत या समग्र नीति बना कर किनारों के लिए प्रभावी टिकाऊ तटबंध बनाने की है.