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आखिर कैसे रखे जाते हैं चक्रवाती( cyclones)  तूफानों के नाम?

चक्रवाती तूफान ‘मोचा:भारतीय मौसम विज्ञान संस्‍थान ने 6 मई 2023 को चक्रवाती तूफान ‘मोचा’ के दक्षिणपूर्वी बंगाल की खाड़ी से टकराने की भविष्‍यवाणी की है. इससे पहले कई अंतरराष्‍ट्रीय मौसम वैज्ञानिकों ने इसके मई के दूसरे हफ्ते में आने की आशंका जताई थी. आईएमडी ने ये रिपोर्ट यूएस मौसम पूर्वानुमान मॉडल ग्लोबल फोरकास्ट सिस्टम और यूरोपियन सेंटर फॉर मीडियम-रेंज वेदर फोरकास्ट की रिपोर्टों का अध्ययन करते हुए दी है. यहां सवाल उठता है कि चक्रवाती ( cyclones)  तूफानों को नाम कैसे दिया जाता है? इनको ये नाम कौन देता है?
आसार जताए जा रहे हैं कि चक्रवात मोचा का असर पूर्वी भारत से लेकर बांग्लादेश और म्यांमार तक रहेगा. साल के पहले चक्रवाती तूफ़ान का नामकरण यमन को करना था. लिहाजा, 6 मई को बंगाल की खाड़ी में आने वाले भयंकर चक्रवात का नाम यमन ने अपने लाल सागर तट पर एक बंदरगाह शहर मोचा के नाम पर रखने का सुझाव दिया था. बता दें कि चक्रवात शब्द ग्रीक शब्द से बना है, जिसका अर्थ ‘सांप की कुंडली’ है. यह कम दबाव वाले क्षेत्र के आसपास वायुमंडलीय गड़बड़ी से बनता है जो हिंसक तूफान और गंभीर मौसम पैदा करता है.
चक्रवातों के नाम रखने की दो व्‍यवस्‍थाएं प्रचलन में हैं. पहली के तहत दुनियाभर के चक्रवातों के नाम रखे जाते हैं. वहीं, दूसरी व्‍यवस्‍था के तह अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में उठे चक्रवातों के नाम रखे जाते हैं. क्षेत्रीय विशिष्ट मौसम विज्ञान केंद्र और उष्णकटिबंधीय चक्रवात चेतावनी केंद्र दुनियाभर के किसी भी महासागरीय बेसिन में बनने वाले चक्रवातों को नाम देते हैं आईएमडी भी दुनिया के उन्हीं 6 क्षेत्रीय विशिष्ट मौसम विज्ञान केंद्र में शामिल है. आईएमडी उत्तरी हिंद महासागर में बनने वाले चक्रवातों का नामकरण करता है.

चक्रवात की रफ्तार 34 समुद्री मील प्रति घंटा से ज्‍यादा होने पर ही खास नाम दिया जाता है. अगर तूफान की रफ्तार 74 मील प्रति घंटे तक पहुंच जाती है तो इसे हरिकेन, साइक्लोन या टाइफून माना जाता है. बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में बनने वाले चक्रवातों के नाम इस क्षेत्र के 13 देश करते हैं. इस क्षेत्र में बने चक्रवातों का नामकरण करने वाले ग्रुप में बांग्लादेश, भारत, मालदीव, म्यांमार, ओमान, पाकिस्तान, श्रीलंका, थाईलैंड शामिल हैं. वहीं, ईरान, कतर, सऊदी अरब, यूएई और यमन अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में बने चक्रवातों का नामकरण करते हैं.

चक्रावतों के नाम देने वाले समूह में शामिल देश अल्फाबेटिकली ऑर्डर में नाम देते हैं. जैसे बांग्लादेश पहले आता है तो वह पहले नाम सुझाएगा. इसके बाद भारत और फिर ईरान नाम देंगे. ग्रुप में शामिल देशों से अगले 25 साल के लिए नाम लेकर एक सूची बनाई जाती है. इन्हीं नामों में से अल्फाबेटिकल आर्डर में नाम रखे जाते हैं. नई सूची में देशों ने जो नाम दिए हैं, उसमें भारत की ओर से दिए नामों में गति, तेज, मुरासु, आग, नीर, प्रभंजन, घुरनी, अंबुद, जलाधि और वेग शामिल हैं. माना जाता है कि हर साल कम से कम 5 चक्रवात आएंगे.

उत्तरी हिंद महासागर में देशों ने साल 2000 में उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के नामकरण के लिए नई प्रणाली का इस्‍तेमाल शुरू किया था. ये नाम एल्फाबेट और तटस्थ लिंग के हिसाब से देश के अनुसार सूचीबद्ध हैं. सामान्य नियम है कि नाम सूची एक विशिष्ट क्षेत्र के डब्‍ल्‍यूएमओ सदस्यों के राष्ट्रीय मौसम विज्ञान और जल विज्ञान सेवाओं की ओर से प्रस्तावित की जाती है. संबंधित उष्णकटिबंधीय चक्रवात क्षेत्रीय निकाय सालाना और दो साल में होने वाले सत्रों में इन्‍हें अप्रूव करते हैं.

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