73 आंगनबाडी कार्यकत्रियों का मानदेय रोकने पर उबाल, मीटिंग में अनुपस्थित रहने पर की गई थी कार्रवाई
किशनी। 13 दिसम्बर को ब्लाॅक सभागार में आयोजित विभागीय समीक्षा बैठक में अनुपस्थित रहने के कारण सीडीपीओ लता प्रधान के अनुमोदन पर 73 आंगनबाडी कार्यकत्रियों का एक माह का मानदेय रोक दिया गया है। इससे परेशान आंगनबाडी कार्यकत्री एवं सहायिका वेलफेयर एसोसियेशन की प्रदेश उपाध्यक्ष सरिता शाक्य ने जिला कार्यक्रम अधिकारी ज्योति शाक्य तथा डीएम को पत्र लिखा है।
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73 आंगनबाडी कार्यकत्रियों का एक माह का मानदेय रोक देने के बाद उनकी प्रदेश उपाध्यक्ष सरिता शाक्य ने डीएम को पत्र लिखा है कि उक्त बैठक की सूचना सीडीपीओ लता प्रधान ने रात साढे आठ बजे सोशल मीडिया के माध्यम से दी थी। उन्होंने बताया कि कार्यकत्रियां टीकाकरण तथा पूर्व सूचना न होने के कारण अनजान रहीं।अधिकतर वर्कर बेहद गरीब परिवारों से हैं दूरदराज गांवों से हैं। उनको आने के लिये दूसरों का सहारा लेना पडता है। यदि कोई सहारा न मिला तो उनका आना नामुमकिन हो जाता है। वर्कर को बैठकों में आने के लिये अधिकारियों की तर्ज पर कोई यात्रा या दैनिक भत्ता नहीं मिलता है। कइयों के पास छोटे मोवाइल ही हैं इसलिये उनको संदेश प्राप्त नहीं होते। उन्होंने मांग की कि यदि बैठक में बुलाना है तो दो तीन दिन पूर्व सूचना देनी चाहिये थी। बुधवार को ब्लाॅक पर एकत्र हुई कई कार्यकत्रियों ने कहा कि उनको इतना भी मानदेय नहीं मिलता कि जिससे उनके एक माह के खाने का गुजारा भी हो सके। यदि गलती थी तो एक दो दिन का मानदेय काट दिया जाता। पर एक माह का मानदेय काटना सीडीपीओ तथा जिला कार्यक्रम अधिकारी की तानाशाही ही कही जा सकती है।