पाजिटिव एटीटयूड ही लीडर बनाता है
मनोज श्रीवास्तव
बिगडी बात को कैसे ठीक किया जाय, जटिल परिस्थिति को कैसे सरल किया जाय या हमारे पाजिटिव एटीटयूड पर निर्भर करता है। पाजिटिव एटीटयूड का अर्थ किसी भी परिस्थिति में शान्त रहना है और कम से कम प्रतिक्रिया देनी है। कहा जाता है, मौन सभी समस्यों का समाधान है। नजर नही नजरिया बदलने की जरूरत है। जैसे यदि दूध गिरने पर कहा जाय कि अच्छा हुआ आज दूध से अभीषेक हो गया। यदि जीवन में कोई बुरी घटना घट जाय तब पाजिटिव एटीटयूड से उसको ठीक करना है। जैसे यदि फ्रैक्चर हो जाय तब कहा जाय कि चलो अच्छा हुआ इक्कीस दिन आराम करने को मिलेगा। समय अच्छा था अन्यथा दोनो हाथ टूट जाते।
अशान्ति की दुनिया में शान्त कैसे रहना है इसकी जानकारी पाजिटिव एटीटयूड से मिलती है। कन्फ्लिक्ट और प्राब्लम में कैसे स्टेबल रहना है इसकी जानकारी पाजिटिव एटीटयूड से मिलती है। आसन का अर्थ है किसी पोजिशन पर सैट रहना। यदि हम स्व स्थिति के आसन पर सैट रहेंगे तब परिस्थिति के कारण अपसैट नही होंगे। मन का एकाग्र करके बैठना भी जीवन का एक आसन है। हमारे पूरे जीवन का खेल अपने अन्दर चलने वाले मानसिक द्वन्द्व को ठीक करना है, जिसमें पाजिटिव एटीटयूड हमारी मदद करता है।
आज जीवन में सभी की अपेक्षा बढ गयी है। लोग सोच तो बहुत रहे है परन्तु कर नही पा रहे है। इसलिए एक सिंगल थाट बार-बार मन मे रिपीट हो रहा है, जिसके कारण निगेटिविटी से भर जाते है। इसलिए सिंगल निगेटिव थाट को उसी समय चैक करके रोकना होता है। ऐसा नही करने पर सिंगल निगेटिव थाट एक सर्किल बना लेता है। एक सिंगल थाट एक हजार थाट को लेकर आता है। जैसे यदि मन में यह विचार आ जाय कि आज सुसाईड कर लें तब एक हजार थाट और आ जायेगे की हाॅ कर लें। इसलिए जब भी बुरी फीलिंग आ जाय तब उसे पाजिटिव एटीटयूड की मदद से रोक लेना चाहिए। जैसे हैल्प लाईन की मदद ले ले, फोन पर बात करना शुरू कर दे।
सुसाईड का थाट एक सेकेण्ड के कम समय में निर्णय में बदल जाता है। इस समय इमोशनल ब्रेन अधिक एक्टिव हो जाता है। हमारे इमोशनल ब्रेन में थिंकिंग ब्रेन को हाईजैक कर लिया। इसलिए आज इमोशनल कोसेन्ट की बात की जा रही है। आज थिंकिंग ब्रेन ब्लाक हो रहा है और इमोशनल ब्रेन एक्टिव हो रहा है। इमोशनल ब्रेन हाईपर एक्टिव होने से थिंकिंग ब्रेन का कन्ट्रोल समाप्त हो जाता है।
यदि हम अपने इमोशन, फीलिंग पर मास्टरी न कर ले तब हमारा इमोशनल बे्रन थिंकिंग को कन्ट्रोल करने लगता है। इससे हमारा थिंकिंग थाट पैटर्न रूक जाता है। दोनो प्रकार के ब्रेन में बैलेंस रखने वाले लीडर बनते है।
अपने चेतन मन से अवचेतन मन को आर्डर करना होता है। चेतन मन पाॅच प्रतिशत कार्य करता है और अवचेतन मन पिच्चानब्बे प्रतिशत कार्य करता है। लेकिन चेतन मन मास्टर है और चेतन मन सर्वेन्ट है। चेतन मन का अर्थ पुराने संस्कार, आदत और मान्यताओं के पूर्वाग्रह से रहित होकर नई मान्यता और पाजिटिव एटीटयूड से अपने कार्य को नई दिशा देना है। इसलिए हमें अपने चेतन मन की शक्ति को बढाना है और पुराने संस्कार, आदत और मान्यताओं के पूर्वाग्रह से रहित होकर समस्या मुक्त जीवन लाना है।