अपने अंतिम कार्य दिवस पर CJI यूयू ललित ने सुनाए ये अहम फैसले !

आज उखक यूयू ललित का अंतिम कार्य दिवस है, इस मौके पर वह 6 मामलों के फैसले/सुनवाई में मौजूद रहेंगे, जिसमें एहर से लेकर हेमंत सोरन का मामला शामिल है. भारत के प्रधान न्यायाधीश जस्टिस यूयू ललित मंगलवार यानी आठ नवंबर को रिटायर हो रहे हैं लेकिन आठ नंवबर को गुरु नानक जयंती होने के चलते कोर्ट में छुट्टी रहेगी. लिहाजा जस्टिस यूयू ललित का सुप्रीम कोर्ट में आज अंतिम कार्य दिवस है. अपने आखिरी कार्यदिवस के दिन वह लगातार बड़े फैसलों के साक्षी बन रहे हैं. पहले दाखिलों और सरकारी नौकरियों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (एहर) के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण को बरकरार रखा और अब हेमंत सोरन मामले में बड़ी राहत दी है. सीजेआई आज 6 अहम मामलों की सुनवाई/फैसलों में शामिल होंगे.
चीफ जस्टिस यूयू ललित ने जून 2020 के उस आदेश को वापस ले लिया, जिसमें नोएडा और ग्रेटर नोएडा में बिल्डरों द्वारा भूमि की कीमत के भुगतान में देरी पर 15-23 प्रतिशत की ब्याज दर को 8 प्रतिशत पर सीमित करने का आदेश दिया गया था. हेमंत सोरेन की याचिका: उच्चतम न्यायालय ने खनन पट्टा मामले की जांच संबंधी जनहित याचिकाओं को सुनवाई योग्य बताने वाले झारखंड उच्च न्यायालय के आदेश को दरकिनार किया.
माइनिंग लीज मामले में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत दी है. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया है. इससे पहले हेमंत सोरेन और उनके करीबियों को मिले माइनिंग पट्टे की जांच की मांग वाली याचिका को हाई कोर्ट ने सुनवाई के लिए मंजूर कर लिया था. इसके खिलाफ सोरेन और झारखंड सरकार दोनों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था और को राजनीति से प्रेरित बताया था.
- जस्टिस भट्ट की राय अलग है. कहा sc /st/ews को एह२ आरक्षण के दायरे से बाहर रखना भेदभावपूर्ण है.
- चार जज एकमत है, दिनैश माहेश्वरी ने ही उखक का फैसला पढ़ा
- जस्टिस द्विवेदी झ्र 103वें संविधान संसोधन की संविधानिक वैधता को बरक़रार रखती हूं. इसमे रउ /रळ/डइउ केटेगरी को बाहर रखना भेदभावपूर्ण नहीं कहा जा सकता है.
- जस्टिस त्रिवेदी झ्र 103 वे संविधान संसोधन की संविधानिक वैधता को बरक़रार रखती हूं. इसमे रउ /रळ/डइउ केटेगरी को बाहर रखना भेदभावपूर्ण नहीं कहा जा सकता है.
- बेला त्रिवेदी- कहा एहर केटेगरी वाजिब केटेगरी है. आर्थिक तौर पर वंचित तबके को आगे ले जाना सरकार का दायित्व है.
- क्या सिर्फ आर्थिक आधार पर आरक्षण देना संविधान की मूल भावना के खिलाफ है, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी ने कहा कि एहर आरक्षण संविधान की मूल भावना के खिलाफ है.