हिमाचल चुनाव- देश के पहले मतदाता ने पहली बार घर से किया मतदान, 106 वर्षीय नेगी है ब्रांड एंबेसडर
शिमला। हिमाचल विधानसभा चुनावों को लेकर सियासत काफी गर्मा गई है। तो वहीं आज विधानसभा चुनाव के लिए देश के पहले मतदाता 106 वर्षीय श्याम सरन नेगी ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। घर से मतपत्र से मतदान करने के दूसरे दिन श्याम सरन नेगी ने भी मतदान कर दिया। श्याम सरन नेगी ने कहा कि सभी को वोट डालना चाहिए। वोट डालने का मतलब होता है कि सही आदमी को आगे पहुंचाया जाए। उन्होंने घर पर वोट डालने की सुविधा देने केलिए प्रशासन का आभार भी व्यक्त किया।
तबीयत खराब होने के कारण घर से किया मतदान-
उपायुक्त ने कहा यह किन्नौर ही नहीं बल्कि पूरे हिमाचल के लिए गौरव की बात है कि आजाद भारत के पहले मतदाता किन्नौर जिला से हैं। उन्होंने कहा कि पहले श्याम सरन नेगी हर बार की तरह बूथ पर आकर ही मतदान करना चाहते थे, लेकिन अब इनकी तबीयत खराब होने के कारण घर पर ही इनका मतदान करवाया है। इन्होंने 12डी फार्म भरा। इसके बाद प्रशासन ने इनसे घर पर आकर वोटिंग करवाई। श्याम सरन नेगी के मतदान के दौरान किन्नौर में चुनाव आयोग के अधिकारी भी मौजूद रहे। 80 वर्ष से अधिक के पात्र लोगों, दिव्यांगों को भी सुविधा प्रदान की गई है। चुनावी ड्यूटी पर तैनात कर्मचारी भी डाक से मतदान कर सकेंगे। श्याम सरन नेगी को चुनाव आयोग ने इस साल ब्रांड एंबेसडर भी बनाया है। 2014 के आम चुनाव के दौरान भी ब्रांड एंबेसडर बनाया गया था। बता दें कि देश के आजाद होने के बाद 1952 में पहला लोकसभा चुनाव का आयोजन किया गया था।
आखिरी ओवर के रोमांच (thrill )की कहानी
लेकिन किन्नौर में भारी हिमपात के कारण पांच महीने पहले सितंबर 1951 में मतदान हो गया था। श्याम सरन नेगी सेवानिवृत्त अध्यापक हैं। चुनाव के दौरान वह जिला किन्नौर के मूरंग स्कूल में तैनात थे। इस दौरान उनकी ड्यूटी चुनाव में भी लगी थी। वह आजाद भारत में पहली बार मतदान के लिए काफी उत्साहित थे। चुनाव के लिए उनकी ड्यूटी किन्नौर के ही शौंगठोंग से मूरंग तक थी। उनका वोट कल्पा में था। उन्होंने निर्वाचन अधिकारी से सुबह वोट डालने के बाद ड्यूटी पर जाने की इजाजत मांगी। वह सुबह मतदान स्थल पर पहुंच गए। उन्होंने जल्दी मतदान करवाने का आग्रह किया। जिस पर पोलिंग अधिकारी ने रजिस्टर खोलकर उन्हें पर्ची दी। नेगी ने सुबह सवा छह बजे मतदान किया। इस तरह मतदान करते ही वह देश के पहले मतदाता बन गए।