एक दिन के लिए खुलता है धन्वंतरि का देश में इकलौता मंदिर
भगवान धनवंतरिक की यह 325 साल पुरानी अष्टधातु की प्रतिमा पूरे भारत में इकलौती है। काशी में कई पीढ़ियों से भगवान धन्वंतरि के दर्शन-पूजन की परंपरा चल रही है। धनतेरस पर 22 अक्तूबर को शाम पांच बजे से आम श्रद्धालुओं के लिए धन्वंतरि मंदिर का पट खुल जाएगा। धनतेरस पर भगवान धन्वंतरि अपने भक्तों पर आरोग्य आशीष की बरसात करेंगे। साल भर में कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी पर भगवान धन्वंतरि की अष्टधातु की प्रतिमा के दर्शन मिलते हैं। राजवैद्य परिवार का कहना है कि भगवान धनवंतरिक की यह 325 साल पुरानी अष्टधातु की प्रतिमा पूरे भारत में इकलौती है। काशी में कई पीढ़ियों से भगवान धन्वंतरि के दर्शन-पूजन की परंपरा चल रही है।
धनतेरस पर 22 अक्तूबर को शाम पांच बजे से आम श्रद्धालुओं के लिए धन्वंतरि मंदिर का पट खुल जाएगा। परंपरा के अनुसार, आरोग्य के देवता भगवान धनवंतरि का सुड़िया स्थित वैद्यराज के आवास पर दर्शन पूजन होगा। राजवैद्य परिवार के पं. रामकुमार शास्त्री, नंद कुमार शास्त्री एवं समीर कुमार शास्त्री अपने पिता राजवैद्य पं. शिव कुमार शास्त्री की परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं। वर्ष भर निरोग रहने की कामना से श्रद्धालु भगवान धनवंतरि के दर्शन के लिए पहुंचते हैं। श्रद्धालुओं को अमृत रूपी प्रसाद का वितरण किया जाता है।