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राइट टु इंफॉर्मेशन के रास्ते में अड़चन राइट टु प्राइवेसी

नई दिल्ली । ट्रांसपेरेंसी ( right to privacy) लॉ का देश में प्रभावी अमल नहीं हो पाता ए इसके पीछे कई कारण हैं जिनमें अधिकारियों की तरफ से जनता को जानकारियां नहीं देना, लोगों के प्रति पब्लिक इंफॉर्मेशन ऑफिसर का रूखा व्यवहार और जानकारी छुपाने के लिए राइट टु इंफॉर्मेशन ( right to privacy) एक्ट के प्रावधानों की गलत जानकारी देना TII के डायरेक्टर रमा नाथ झा ने कहा कि इंफॉर्मेशन कमीशन रिटायर होने वाले ब्यूरोक्रैट्स के लिए पार्किंग स्पेस जैसा होता जा रहा है।

2005-06 से 2020-21 के बीच राज्यों और केंद्र के पास 4.20 करोड़ से ज्यादा RTI एप्लीकेशन आई थीं। 2005 से अब तक इतने साल बाद भी ज्यादातर सरकारी मुलाजिमों और पब्लिक अथॉरिटीज की मानसिकता अभी भी सरकारी कामों को खुफिया रखने की ही है। सरकारी कामकाज में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के इरादे से बनाए गए इस कानून को पूरी तरह लागू होने में अभी कई चुनौतियां हैं, इसलिए अभी सिर्फ आधी जंग जीती गई है।

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