ईंधन की कीमतों में एक बार फिर बढ़ोतरी
नवंबर (Fuel prices) से तेल की कटौती (Fuel prices) से वैश्विक आपूर्ति दो प्रतिशत कम हो जाएगी। आगे चलकर तेल की कीमतें बढ़ सकती हैं। सरकार ने पिछले कुछ समय से ईंधन के खुदरा दाम में बढ़ोतरी नहीं की है। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री पुरी सहित सरकार ने कई बार जोर देकर कहा है कि ओएमसी को नुकसान की भरपाई के लिए और वक्त की जरूरत है, नुकसान वैश्विक दाम ज्यादा रहने पर उन्होंने उठाया है।
ज्यादा कीमत होने से स्वाभाविक रूप से तेल की कीमतें बढ़ेंगी, सरकार लागू करने में थोड़ा वक्त लेगी । अगर ऐसा होता है तो भारत समेत दुनिया के कई देशों में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में तेजी आ सकती है। कई देश अपनी क्षमता से कम ईंधन का इस्तेमाल कर रहे हैं इसलिए इस फैसले का असर उतना व्यापक नहीं होगा।
ओपेक के उत्पादन में बदलाव और उसके असर में सामान्यतया 3 महीने का वक्त है। कीमतों की चाल में सरकार का हस्तक्षेप जारी रहेगा और कीमत में बढ़ोतरी के पहले सरकार राज्य विधानसभा चुनावों सहित कई अन्य गतिविधियों पर नजर रखेगी। हालांकि दो राज्यों के चुनाव ज्यादा असर नहीं डालेंगे।