
बाड़मेर। संस्थान संचालक (deer) ने हिरणों में लंपी के लक्षण दिखने के बाद भी सरकारी (deer) मदद नहीं मिलने की बात कही। वर्तमान में 110 के आसपास हिरण बचे हैं। रेस्क्यू सेंटर में संस्थान अपने स्तर पर ही संक्रमित हिरणों का इलाज करवा रहा है। वन्य जीव संरक्षण संस्थान के संचालक कहते हैं- हिरणों के अलावा रेस्क्यू सेंटर में कबूतर, नीलगाय, खरगोश, मोर भी हैं।
पिछले डेढ़ महीने से हिरणों में लंपी स्किन के लक्षण दिख रहे हैं। संस्था से जुड़े प्राइवेट डॉक्टर राजेंद्र खिलेरी कहते हैं- 10 महीने से रेस्क्यू सेंटर जा रहा हूं। डेढ़ माह से हिरण में लंपी स्किन डिजीज लक्षण दिख रहे हैं। पैरों में सूजन के बाद कीड़े पड़ना, आंखों व शरीर पर गांठें बन रही हैं, इसके बाद ये फूट रही हैं। करीब ढाई साल हो गए।
संस्था के अध्यक्ष जगदीश भादू और संचालक किशोर भादू हैं। करीब 15 युवाओं की टीम है। यह संस्था विभिन्न हादसों में घायल वन्य जीवों को बचाकर उनका इलाज करवाती है। लंपी हिरणों में फैलने का दावा किसने किया और किस आधार पर किया है? हिरणों में लंपी फैलने के दावे की हकीकत जानने के लिए हम आपको बाड़मेर से करीब 73 किमी दूर कातरला ले चलते हैं।