चंडीगढ़ । बारिश (indemnity) ने किसानों की साल भर की मेहनत इस तरह डुबो दी कि बचाव का कोई रास्त नहीं। अब किसानों को समझ नहीं आ रहा कि वह नुकसान की भरपाई (indemnity) कैसे करेंगे। लागत लाखों की है और मुआवजा कुछ हजार ही मिलेगा। घर में खाने को धान अलग खरीदना पड़ेगा। अकेले करनाल जिले में 90 हजार एकड़ धान के खेतों में बारिश का पानी भरा हुआ है। कैथल में 4000 एकड़ धान की फसल प्रभावित हुई है।
कृषि विभाग के प्राथमिक आंकड़ों में सामने आया है कि सूबे में लगभग 8 लाख एकड़ धान के खेतों में बारिश का पानी भर गया है। मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल पर किसान अपने मोबाइल नंबर और परिवार पहचान पत्र से फसल खराब होने के 72 घंटे के भीतर नुकसान की डिटेल भर सकते हैं। इसके बाद पटवारी एक हफ्ते में फील्ड में जाकर नुकसान की जांच करेंगे।
हरियाणा के किसानों ने मुख्य रूप से कम अवधि की पूसा-1509 और PR-126 जैसी किस्मों को नुकसान पहुंचा है। नमी की मात्रा अधिक होने से भविष्य में बाजार में इनकी कीमतों में गिरावट आ सकती है। जो लोग अपनी फसल काट कर अनाज मंडियों में पहुंच चुके हैं, वे आढ़तियों की हड़ताल के कारण अपनी उपज नहीं बेच पा रहे हैं। बारिश के पानी में डूबी किसानों की फसल, सुखा कर भी ज्यादा फायदा नहीं होगा। सुखाने में ही कई दिन लग जाएंगे और जब सूखकर मंडी में जाएगी तो वजन कम होने से दाम कम मिलेंगे। खाने का स्वाद बिगड़ेगा वह अलग।