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फिर उठ खड़ा हुआ नीतीश कुमार का प्रधानमंत्री पद मोह

नीतीश कुमार (prime ministership) का प्रधानमंत्री पद का मोह (prime ministership) फिर उठ खड़ा हुआ है। वे कहते हैं हम प्रधानमंत्री पद की होड़ में नहीं हैं। हम तो बिखरे विपक्ष को एक करने में अपनी ताकत झोंक रहे हैं। उधर राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा पर निकल पड़े हैं और उन्हें अच्छा- ख़ासा समर्थन भी मिल रहा है। ऐसे में नीतीश कुमार कहाँ आएँगे यह तो भविष्य ही बताएगा।

हालांकि, जहां तक उम्मीद है, गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनावों के बाद तस्वीर बहुत कुछ साफ हो ही जाएगी।केजरीवाल की तैयारी जोर-शोर से चल रही है। हो सकता है कल को उनकी आप पार्टी तीन या चार राज्यों में सरकार बना ले तो भाजपा के बाद पहला दावा उनका बन जाएगा।

दूसरी तरफ ताजातम बयान में उन्होंने कहा कि 2024 के चुनाव में विपक्षी दलों की सरकार बनती है और हमारा गठबंधन भी अच्छी सीटें जीतता है तो छोटे तमाम राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा जरूर देंगे। बहरहाल, नीतीश कुमार, येचुरी को भी साथ लेकर चल रहे हैं। आखिर गिरते को तिनके का सहारा।

चार-पाँच सीटों की मदद भी कम थोड़े ही होती है। उनके अलावा कोई नहीं। कहाँ एक दौर था जब देशभर में 55 से 65 के बीच लोकसभा सीटें कम्युनिस्टों के पास हुआ करती थीं और वे जिसकी चाहें सरकार बनवाने और जिसकी चाहें सरकार गिरवाने की स्थिति में होते थे। आज कहीं भी नहीं हैं। हालाँकि, इसके लिए वे खुद ही जिम्मेदार हैं।

इसका मतलब सीधा-सा यह है कि प्रधानमंत्री बनने की उनकी इच्छा फिर बलवती हो रही है। अंकुर तो बहुत पहले फूट चुके थे, अब फसल लहलहाने का दौर चल रहा है। 2024 के करीब आते- आते पद प्रेम अपने चरम पर पहुँच चुका होगा। हालाँकि, उनके रास्ते में अभी कई काँटे हैं।

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