सहज परिवर्तन का आधार अनुभव की अथॉरिटी

मनोज श्रीवास्तव सहायक सूचना निदेशक देहरादून!
स. सम्पादक शिवाकान्त पाठक!
आज चारो तरफ किसी न किसी तरह हलचल दिखाई दे रही है। कही धन के कारण हलचल है तथा कही मन के टेंशन के कारण हलचल है। ऐसे समय हमे स्वयं पर अटेशन रखकर अचल अडोल रहना है।
अनुभव की अथॉरिटी सभी समस्याओ का समाधान है क्योकि अनुभव की अथॉरिटी सहज परिवर्तन का आधार है।
अनुभव की अथॉरिटी द्वारा हम दुःखी व्यक्ति को सुख और शांति का रास्ता बताने वाले,ज्ञान नेत्रहीन को दिव्य नेत्र प्रदान करने वाले, भटकती आत्मा को ठिकाना देने वाले और अप्राप्त आत्माओ को प्राप्ति का अनुभव कराने वाले बन जाते है।
दुनिया वाले अल्पकाल के लिये खुशी का साधन अपनाते है। दुःखी अवस्था से मुक्ति पाने के लिये दुनिया वाले नाचने ,गाने और मनोरंजन के साधन अपनाती है। यह सभी अल्पकाल के साधन है । लेकिन अल्पकाल के साधन और अधिक चिंता की चिता पर ले जाती है।
आज सभी के मुख से निकलता है कि सभी जगह देख लिया ,सभी को सुन लिया और सभी को अनुभव कर लिया परन्तु सभी के मन से यह आवाज न चाहते हुए निकलती है कि यह बहुत कम है, हमे इससे कुछ अधिक चाहिए।
आज तक जो भी अल्पकाल के साधन बने है यह सभी मात्र तिनके का सहारा है। इसलिये लोग आज वास्तविक सहारा खोज रहे है। क्योंकि लोग अल्पकाल के आधार,अल्पकाल के विधि से ऊब चुके है। इसलिये सभी को वास्तविक और यथार्थ सहारे की जरूरत है।
आज हमारे पास सबसे बड़ी अथॉरिटी अनुभव की अथॉरिटी हमारे पास है। आज अन्य रूप में साइंस की अथॉरिटी, धर्मशास्त्र की अथॉरिटी ,राजसत्ता की अथॉरिटी वाले भी अपने -अपने तरीके से दुनिया बदलाव के लिये ट्रॉयल कर चुके है लेकिन सभी इसमे फेल है।
हमने अपने अनुभव की अथॉरिटी से ईश्वरीय अनुभूति की अथॉरिटी को प्राप्त कर लिया है। इसके झलक से,फलक से,निश्चय से,नशे से, निश्चिन्त भाव से कहते है और आगे भी कहेंगे कि सत्य का रास्ता एक है। यह रास्ता भी एक के द्वारा ही प्राप्त होता है। जिसने असम्भव को सम्भव बनाया है,साधारण को महान बनाया है,निर्बल को बलवान बनाया और अनपढ़ को नॉलेजफुल बनाया है।
धर्मनेता,राजनेता और वैज्ञानिक तीनो ही सत्य स्वरूप के निकट है लेकिन अभी घूंघट मे है और अंदर से आधा सच ही देख पा रहे है। इसलिये खुलकर नही बोल पा रहे है। क्योंकि ये लोग दुविधा में है।
इन लोगो के पास अनेक प्रकार का घूघंट है। जैसे नेतापन का घुघण्ट, कुर्सी का घुघण्ट ,सत्त्ता का घुघण्ट। अभी इनको इन घुघण्ट से निकलने में समय लगेगा । लेकिन महत्त्वपूर्ण बात है कि जागरूकता के प्रभाव से ये अब कुम्भकरण की नींद से बाहर आ चुके है। अटेशन रखकर ही टेशन से बचा जा सकता है।