
भोपाल । कूनो नेशनल पार्क (eco system) में 17 सितंबर को अफ्रीका से चीते आते ही यहां के जंगल का ईको सिस्टम (eco system) बदल जाएगा। यहां रहने वाले तेंदुए अपनी कैट प्रजाति के एक नए वन्यप्राणी से पहली बार मुखातिब होंगे।
चूंकि चीते लंबे अरसे बाद जंगल में आ रहे हैं, ऐसे में तेंदुओं और भालुओं को उनकी असली ताकत का अंदाजा भी तभी होगा कि जब वे उससे फाइट करेंगे। चीतों को जंगल में अपनी धाक जमाने के लिए ताकत तो दिखानी होगी, तभी तेंदुए और दूसरे जानवर ये मानेंगे कि वो उनसे भी ज्यादा शक्तिशाली है।
बिल्कुल उनकी जैसी शक्ल वाले ये चीते 70 साल बाद उनकी टेरेटरी में आ रहे हैं। तेंदुओं और चीतों के बीच शिकार को लेकर फाइट होगी, लेकिन दोनों की अपनी स्ट्रैटजी है। तेंदुआ शिकार को अपने साथ पेड़ पर ले जाकर इत्मिनान से खाता है, लेकिन चीता ऐसा नहीं करता।
वाघमारे ने बताया कि जंगल में सबसे ताकतवर जानवर का ही राज चलता है। चीता तेंदुओं से ज्यादा शक्तिशाली और फुर्तीला है। 4 सेकंड में 80 किलोमीटर से ज्यादा की स्पीड पकड़ लेता है। 20 सेकंड में अपने शिकार को झपट्टा मारने का माद्दा रखता है। अपने शिकार को वो आमतौर पर एक बार में ही पूरा खाता है। ऐसा माना जाता है कि चीता अपने शिकार को छोड़कर नहीं जाता। सामान्य रूप से चीता ज्यादा ताकतवर माना जाता है, इसलिए उसके शिकार में किसी और की हिस्सेदारी भी नहीं होती है।