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सूचनाएं बेचना अब 95 हजार करोड़ रुपए का कारोबार

वॉशिंगटन । दुनियाभर (business) में पता बताने का ये बाजार 95 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का हो गया है। गूगल और फेसबुक जैसी कंपनियों से हर साल लाखों इस्तेमालकर्ताओं की सूचनाएं मांगी जाती हैं और 90% मामलों में सूचनाएं (business) दे भी दी जाती हैं, उनके लोकेशन के अलावा उनकी सर्च हिस्ट्री, लाइक्स, कमेंट, खरीदारी आदि। इसलिए लोकेशन ऑफ रखें।

ये सबकुछ होता है आपके फोन से। आपके फोन में इंस्टॉल तमाम एप्स आपकी लोकेशन ट्रैक करते रहते हैं। इंस्टॉल करते वक्त ही ये इसकी इजाजत ले लेते हैं। मौसम, फूड डिलीवरी, डेटिंग, गेमिंग जैसे ऐप्स के जरिए ये ज्यादा होते हैं। कई ऐप्स चुपके से आपका लोकेशन ट्रैक करते हैं। सब कुछ का डाटा है। इस तरह की जानकारियों से आपकी प्राइवेसी खतरे में पड़ जाती है।

ये मामले लगातार बढ़ रहे हैं। एसोसिएटेड प्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस सेलफोन ट्रैकिंग टूल का इस्तेमाल कर रही है। पकड़े जाने पर कंपनियां इसके लिए पछतावा जता देती हैं, लेकिन डाटा इकट्‌ठा करती रहती हैं। 2020 में आई एक रिपोर्ट के अनुसार, फेडरल एजेंसी ने मुस्लिम प्रेयर और कुरान जैसी एप्स के जरिए लोकेशन डाटा इकट्ठा किया।

एक कैथोलिक प्रीस्ट को इसलिए निकाल दिया गया, क्योंकि उसकी लोकेशन गे बार के पास मिली थी। 2018 में न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, सिर्फ अमेरिका में ही एप्स के जरिए 20 करोड़ मोबाइल की लोकेशन ट्रैक की जा रही थी। यहां तक कि कई बार एक दिन में ही 14 हजार बार तक मोबाइल लोकेशन भेजा गया था। इससे लोगों की निजता खतरे में पड़ गई है।

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