कर्नाटक । कर्नाटक (child care) के होन्नाली के घने रेनफॉरेस्ट में करीब 80 साल की एक बुजुर्ग महिला सैकड़ों पेड़ों से स्वस्थ शाखाओं को सावधानी के साथ काटकर उनसे नए पौधे लगाने में जुटी है। इसलिए कहती हैं, ‘सबसे अच्छी मौत वही होगी जो एक घनी शाखाओं वाले पेड़ के नीचे हो। और दोबारा जन्म मिले तो एक बड़े पेड़ के रूप में धरती (child care) पर आना चाहेंगी।
जिंदगी में पेड़ ही ऐसी चीज है, जिसे वे सबसे ज्यादा पसंद करती हैं।वे दुर्लभ प्रजातियों के पेड़ों और बीजों के बारे में बात करती हैं तो उनकी आंखों में चमक आ जाती है। इनके बारे में वे ऐसे बताती हैं, जैसे कोई एनसाइक्लोपीडिया हों। वह भी तब जब उन्होंने पढ़ाई तक नहीं की। तुलसी ने अपनी पूरी जिंदगी कर्नाटक में बंजर जमीन को जंगलों में बदलने में समर्पित कर दी है।
हालांकि इस बात का पता दुनिया को तब चला, जब पर्यावरण सुरक्षा में योगदान के लिए तुलसी को पद्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया। सम्मान मिलने के बाद उनके घर पर मिलने वालों का तांता लगा रहता है। गांव के लोग उन्हें देखकर आदर से सिर झुका लेते हैं। बच्चे उनके साथ सेल्फी लेते हैं। छात्रों से भरी बसें उनके घर पर पहुंचती हैं।जहां वे परिवार के दस सदस्यों के साथ रहती हैं।
तुलसी कहती हैं, बच्चों को पौधों के बारे में जानकारी देकर खुशी मिलती है। उन्हें पेड़ों को महत्व समझाना होगा। तुलसी को पक्का तो याद नहीं है, पर वो जब 12 साल की थीं, तबसे पौधे लगाने और उनकी देखभाल कर रही हैं। उन्होंने पेड़ लगाकर बाकी ग्रामीणों से उलट जंगल की कटाई रोकने का काम किया।