
नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट (Secretary General) ने मौजूदा और सेवानिवृत्त न्यायाधीशों के खिलाफ यौन उत्पीड़न के मामलों से निपटने के लिए तंत्र बनाने पर महासचिव से जवाब (Secretary General) मांगा है। इसके बाद पीड़िता ने जनवरी 2014 में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। कोर्ट ने याचिका को स्वीर काकरते हुए कहा कि आज न्यायिक अधिकारियों के खिलाफ यौन उत्पीड़न की शिकायतों की जांच करने के लिए कोई तंत्र नहीं है, इसके लिए एक तंत्र होना जरूरी है।
अदालत ने याचिकाकर्ता को इसे रिकॉर्ड में दर्ज करने के लिए 4 सप्ताह का समय दिया। वहीं, महासचिव को स्टैंड ऑन रिकॉर्ड रखने के लिए 4 सप्ताह का समय दिया है। अब कोर्ट मामले में अगली सुनवाई 15 नवंबर को करेगा। मामले की सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति एएस ओका और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ ने महासचिव को 4 सप्ताह का समय दिया है।
पीठ 2014 में एक लॉ इंटर्न की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसने सुप्रीम कोर्ट के एक रिटायर्ड न्यायाधीश पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। जनवरी 2014 में दिल्ली हाईकोर्ट ने मीडिया के खिलाफ पीड़िता की ओर से लगाए गए आरोपों को उजागर करने वाली किसी भी सामग्री को प्रकाशित करने से रोक दिया था। न्यायाधीश ने दावों को “निराधार, धोखाधड़ी और प्रेरित” के रूप में खारिज कर दिया था।