दमनकारी दौर और व्यवस्थाओं को बदला : गोर्बाचेव

मिखाइल गोर्बाचेव। एक गरीब (oppressive period) किसान के घर तब जन्मे थे जब सोवियत तानाशाह जोसेफ स्टालिन ने ग्रेट पर्ज चला रखा था। इन्हीं शिखर वार्ताओं में उस दौर में गोर्बाच्योव ने रीगन से परमाणु हथियार कम करने का समझौता किया था।यह वह समय था जिसे दुनियाभर में राजनीतिक दमन (oppressive period) और हत्याओं के दौर के रूप में जाना जाता था।
गोर्बाचेव ने बड़े होकर इसी दमनकारी दौर और व्यवस्थाओं को बदला। सोवियत संघ के लिए भी और दुनियाभर के लिए भी। जब गोर्बाचेव सोवियत संघ के नेता नहीं बने थे, तब यहां सब कुछ सरकार ही नियंत्रित करती थी। कम्युनिस्ट सदस्य के तौर पर जब गोर्बाचेव ने कई देशों की यात्रा की तो वहां की अर्थव्यवस्था में खुलेपन को देखकर उनकी आंखें फटी रह गईं।
उन देशों में आम आदमी के पास बहुत से विकल्प थे, जबकि सोवियत इस खुलेपन को तब सड़ी-गली पूंजीवादी व्यवस्था बताता था। 1985 में जब गोर्बाचेव ने सोवियत सत्ता संभाली तो एक साल बाद ही अर्थव्यवस्था को खोलने के लिए वे पेरेस्त्रोइका लाए। पेरेस्त्रोइका का विस्तृत तात्पर्य अर्थव्यवस्था में सुधार और इसे बाजार की शक्तियों के लिए खोलना था।
उनका ईजाद किया दूसरा शब्द था- ग्लासनोस्त। इसका मतलब था खुलापन। लोकतंत्र। धार्मिक अभिव्यक्ति और व्यक्तिगत स्वतंत्रता। हालांकि बाद में यही पेरेस्त्रोइका और ग्लासनोस्त गोर्बाचेव को सत्ता से अलग करने का कारण बन गए। जैसे आप चिप्स बनाना चाहते हैं तो सरकार ही फैसला करेगी कि आलू कहां से लेने हैं? इन्हें कैसे छीलना और तलना है और कैसे इन चिप्स को बेचना है? कुल मिलाकर लोगों के पास विकल्पों की बेहद कमी थी।