अंतराष्ट्रीय

द्वितीय विश्व युद्ध की शुरुआत जर्मनीGermany) ने की थी

माना जाता है कि द्वितीय विश्व युद्ध की शुरुआत केवल एक ही दिन तो हुई थी लेकिन उसके पीछे बरसों की कहानी थी. 1 सितंबर 1939 को इस युद्ध की शुरुआत जर्मनी (Germany) के पोलैंड के हमले से हुई थी. इसके पीछे कई कारण थे जो एक दिन में नहीं पनपे थे. ऐसा ही कुछ रूस यूक्रेन युद्ध (Russia Ukraine War) के बारे में कहा जा रहा है. क्या यह युद्ध तृतीय विश्वयुद्ध की शुरुआत बनेगा. एक सिंतबर की तारीख यह समझने का अवसर है कि आखिर किन हालात ने द्वितीय विश्व युद्ध की नींव रखी थी और क्या हम आज वैसे ही हालात तो नहीं देख रहे हैं.

कई बदलाव लेकर आया था ये युद्ध
द्वितीय विश्व युद्ध आधुनिक दुनिया का सबसे विनाशकारी युद्ध था जिसमें छह साल के अवधि में 8 करोड़ लोग मारे गए थे. इसी युद्ध में पहली बार परमाणु हथियार का उपयोग किया गया था. इसी की वजह से संयुक्त राष्ट्र जैसे संगठन का निर्माण हुआ था और दो महाशक्तियों में वर्चस्व की लड़ाई शुरू हुई जो एक शीतयुद्ध में बदल गया. आज आलम यह है कि इन्हीं दो महाशक्तियों के बीच की जद्दोजहद ही रूस यूक्रेन युद्ध के कारणों में से एक है.

प्रथम विश्वयुद्ध या हिटलर की गलत सोच
अधिकांश इतिहासकार इस बात से सहमत हैं कि 1939 में शुरू हुए द्वितीय विश्व युद्ध के बीच पहले विश्व युद्ध के अंत में पड़ने शुरू हो गए हैं. 1919 में हुई संधि में जर्मनी को मुख्य रूप से पहले विश्व युद्ध का जिम्मेदार ठहराया गया उस पर आर्थिक और सैन्य प्रतिबंध लगा दिए गए कई विशेषज्ञों का मानना रहा है कि इस संधि की शर्तें इतनी सख्त थीं कि इससे जर्मनी में रोष पैदा हो गया जो अगले दो दशकों तक पनपता रहा. लेकिन कुछ का यह भी कहना था कि इस संधि को द्वितीय विश्व युद्ध की वजह कहना हिटलर के नाजीवादी सोच को एक तरह की स्वीकृति देना होगा और इस संधि को द्वितीय विश्व युद्ध की सीधी वजह मानना एक गलती होगी.

पहले विश्व युद्ध में सैनिक था हिटलर
खुद हिटलर प्रथम विश्व युद्ध में एक जर्मन सैनिक था. मूल रूप से वह सेना में संदेशवाहक था. उसे दो बार बहादुरी के लिए प्रशंसा मिली थी और युद्ध के दौरान दो बार वह घायल भी हुआ था. युद्ध के बाद हिटलर जर्मनी के सेना में खुफिया एजेंट बन गया और जर्मन वर्कर पार्टी में काम करने के लिए तैनात किया गया. यहीं वह कम्युनिस्ट विरोधी, यहूदी विरोधी विचारधारा से प्रेरित हुआ और उसने खुद की यहूदी विरोधी विचारधारा को विकसित किया.
यहूदियों से घृणा का दोहन
1919 में ही हिटल ने ज्यूइश क्वेश्चन मान के पहले वक्तव्य के प्रकाशन में शुरुआत यह कहते हुए की कि अंतिम लक्ष्य निश्चित तौर से यहूदियों को पूरी तरह से हटाना होना चाहिए. धीरे धीरे हिटलर को जर्मन वर्कर्स पार्टी में लोकप्रियता मिलती गई,.बड़ी मात्रा में अनुदान हासिल किए और जर्मन राजनीति में शीर्ष पर पहुंच कर 1933 में जर्मनी का चांसलर बन गया. जल्दी ही वह देश की नाजी पार्लियामेंट ऑर्गनाइजेशन में सुप्रीम कमांडर भी बन गया.

यूरोपीय देश कमजोर हो रहे थे
1930 के दशक में यूरोप में जर्मनी के आसपास के देश कमजोर हो रहे थे और जर्मनी हिटलर के नेतृत्व में एक हो रहा था. स्पेन का गृहयद्ध, ऑस्ट्रिया पर कब्जा, चेकेस्लोवाकिया पर हमला, ऐसी कई घटनाओं ने यूरोप को युद्ध के लिए ही धकेला. इसके बाद एक सितंबर 1939 को जर्मनी का पोलैंड पर हमला विश्व युद्ध का त्वरित कारण साबित हुआ.

लेकिन कई लिहाज से देखा जाए दो आज के हालात बहुत अलग हैं. रूस हिटलर की तरह किसी दूसरे देश पर हमला नहीं कर रहा है. अभी पश्चिमी देश और रूस के बीच केवल आर्थिक युद्ध जैसे हालात हैं. यूक्रेन को यूरोप और पश्चिमी देशों का सक्रिय और त्वरित सहयोग है. लेकिन फिर भी यूक्रेन का आरोप है कि पश्चिमी देश उसी तरह से तुष्टिकरण की राह पर चल रहे हैं जैसे की द्वितीय विश्व युद्ध में उन्होंने हिटलर के लिए किया था.

कोई भी परमाणु हथियार इस्तेमाल करने पर विचार भी नहीं कर रहा है. इसके आर्थिक असर दुनिया पर होने लगे हैं. पश्चिमी देश पुतिन पर हिटलर की राह पर चलने का आरोप लगा रहे हैं. वहीं रूस अपनी संप्रभुता की खातिर नाटो को रोकने के लिए यूक्रेन पर सैन्य कार्रवाई कर रहा है.जो भी हो फिलहाल तो युद्ध की शुरुआत में जो आशंकाएं जताई जा रही थीं हालात उतने ज्यादा गंभीर नहीं हैं.

 

 

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