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80 हजार टन में से 50 हजार टन मलबा बेसमेंट में भरा जाएगा

नई दिल्ली । नोएडा (debris) में बने 29 और 32 मंजिला ट्विन टावर गिर चुके। हवा में घुली धूल भी छंट गई। पर काम पूरा नहीं हुआ। अभी बचा है 80 हजार टन मलबा (debris) और मशीनों में दर्ज ट्विन टावर गिरने की कहानी। रामकी ग्रुप का प्लांट नोएडा के सेक्टर-80 में है। उनके पास मलबे को ट्रीट करने का वैज्ञानिक तरीका है।

नोएडा अथॉरिटी ने इसके लिए सारे अप्रूवल दे दिए हैं। ट्विन टावर गिराने से पहले इसकी मॉनिटरिंग के लिए 20 मशीनें फिट की गई थीं। एडिफाइस कंपनी के उत्कर्ष मेहता ने बताया कि हमें मलबे से कुछ मशीनें मिल गई हैं। इनसे डेटा निकाला जा रहा है। इसमें 2-3 हफ्ते लग सकते हैं। यूपी पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने भी प्लान को मंजूरी दे दी है।

मलबा हटाने का काम 90 दिन तक चलेगा। इसमें से ब्लैक बॉक्स जैसी करीब 20 मशीनें निकाली जाएंगीं। जमीन के अंदर लगाई गईं मशीनें मिलना बाकी हैं। हमने डस्ट मॉनिटर, नॉइस मॉनिटर और वेलोसिटी मीटर जैसी मशीनें लगाई हैं। इन्हें खोजकर डेटा जमा किया जाएगा। फिर डेटा से रिपोर्ट बनेगी।

इस प्रोसेस में थोड़ा टाइम लगेगा। इन मशीनों से बिल्डिंग के एक्सप्लोजन से जुड़ा डेटा मिलेगा। हमने डिमोलिशन का काम करने वाली कंपनी एडिफाइस के प्रोजेक्ट हेड उत्कर्ष मेहता और प्रोजेक्ट मैनेजर मयूर मेहता से बात की। वे ट्विन टावर को गिराने के प्रोसेस में पहले दिन से लेकर आखिर में ग्रीन बटन दबाकर ब्लास्ट करने तक शामिल रहे। उन्होंने इस पूरे प्रोसेस को समझाया और बताया कि आगे क्या होगा।

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